गुरुवार को होने वाले विवाह समारोह में भारत के अयोध्या से बारात आएगी। राम-सीता के वैवाहिक समारोह में शामिल होने के लिए जनकपुर में श्रद्धालुओं का तांता लगा है। गौरतलब है कि त्रेता युग में मिथिला नरेश जनक ने अपनी पुत्री सीता के स्वयंवर के लिए प्रतिस्पर्धा में शिव धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाने की शर्त रखी थी। अयोध्या के राजा दशरथ के जेष्ठ सुपुत्र राम ने जब प्रत्यंचा चढ़ाने की कोशिश की, तो धनुष टूट गया। इसके बाद शुक्ल पंचमी के दिन राम और सीता का विवाह संपन्न हुआ।
गोस्वामी तुलसीदास की रामचरित मानस के मुताबिक जनकपुर धाम की रंगभूमि में आयोजित उस स्वयंवर में 33 कोटि देवी-देवता मौजूद थे। महोत्सव के दौरान मिथिला की संस्कृति के अनुसार तिलकोत्सव, मटकोर, स्वयंवर और विवाह संस्कार किया जाता है। पौराणिक व्यवस्था के अनुसार राम मंदिर से बाजे-गाजे के साथ भगवान राम की प्रतिमा को विशेष रूप से बनाए गए और डोले में रख कर रंगभूमि ले जाया जाता है। वहीं जानकी मंदिर से सीता जी की प्रतिमा को भी सुसज्जित डोला में रख कर रंगभूमि लाया जाता है। रंगभूमि मे स्वयंवर विधि, परीक्षण और वैवाहिक विधि संपन्न होने के बाद सीता-राम को जानकी मंदिर में लाकर मिथिला संस्कृति अनुसार विवाह संपन्न कराया जाता है।
अयोध्या में मनाई गई थी दिवाली
यहां आपको बता दें कि तकरीबन 2 महीने पहले ही अयोध्या में भगवान राम को लेकर इतिहास की सबसे बड़ी दिवाली मनाई गई थी। अयोध्या के सरयू नदी पर राम की पैड़ी में दीप उत्सव मनाया गया था। इस मौके पर सरयू घाट पर करीब दो लाख दिए भी जलाए गए थे। वहीं लेजर शो के अलावा रामलीला का मंचन का कार्यक्रम भी था, जिसके लिए थाईलैंड और श्रीलंका से भी कलाकार पहुंचे थे। वही अब इसके बाद नेपाल के जनकपुर में भगवान राम और सीता की शादी का कार्यक्रम मिथिला संस्कृति अनुसार कराया जा रहा है।