भारत में NGO पर प्रतिबंधों और अनुदान नियमों को लेकर यूएन ने जताई चिंता यह डिस्पोजल मास स्पेक्ट्रोमीटर से जुड़ा होता है। इस परीक्षण (ब्रीथ टेस्ट) में व्यक्ति की सांस के जरिए पता लगाया जा सकता है कि उसे संक्रमण है की नहीं। सांस में मौजूद वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (वीओसी) का पता चल जाता है।
लद्दाख में चल रहे तनाव पर भड़के अमरीकी रक्षा मंत्री, कहा- भारत पर सैन्य दबाव बना रहा है चीन 90 फीसदी सही पहचान संभव मशीन लर्निंग सॉफ्टवेयर के की मदद से इन यौगिकों का विश्लेषण करने के बाद कोरोना संक्रमण की पुष्टि 90 प्रतिशत से अधिक सही तरीके के साथ की जाती है। शोधकर्ताओं ने करीब 180 लोगों पर यह परीक्षण किया है। इस तकनीक को एनयूएस के स्टार्टअप ब्रीथोनिक्स के शोधकर्ताओं ने बनाया है। इस परीक्षण से कोविड-19 संक्रमण की पहचान करने के लिए एक तेज और सुविधाजनक समाधान हो सकेगा।