नीरव ने प्रत्यर्पण से बचने के लिए लंदन हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए अर्जी दाखिल की है। आपको बता दें कि नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक ( PNB ) से करीब 13 हजार करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने के मामले में भारत में वांछित है। नीरव के अपील को लेकर सीपीएस ने पुष्टि की है।
यह भी पढ़ेँः कोरोना के बाद ‘ब्लैक फंगस’ को लेकर सरकार की बढ़ी चिंता, ICMR ने जारी की अहम एडवाइजरी नीरव मोदी ने भारत प्रत्यर्पण से बचने के लिए एक बार फिर कानूनी दांव पेंच का इस्तेमाल किया है। नीरव ने यूके हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ एक अपील दाखिल की है। इस अपील के साथ ही नीरव के फिलहाल भारत लाने की तैयारी में खलल पड़ सकता है।
दरअसल क्राउन प्रॉसेक्यूशन सर्विस ( CPS ) के मुताबिक हाईकोर्ट के किस न्यायाधीश के सामने नीरव की अपील पर सुनवाई होगी, अभी यह तय नहीं हुआ है। लंदन में अदालत के प्रशासनिक खंड ने इस सप्ताह बताया था कि मामले पर विचार के लिए दस्तावेज को न्यायाधीश के पास नहीं भेजा गया है।
सबसे पहले हाईकोर्ट के न्यायाधीश अपील के लिए दाखिल दस्तावेजों के आधार पर फैसला करेंगे और फिर तय करेंगे कि गृहमंत्री या वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले के खिलाफ अपील करने का क्या कोई आधार है या नहीं।
यह भी पढ़ेंः कोरोना को लेकर चीन की बड़ी साजिश का खुलासा, 2015 में इस वायरस को हथियार बनाने की हुई थी चर्चा आपको बता दें कि अप्रैल में ही मजिस्ट्रेट अदालत ने पंजाब बैंक से दो अरब डॉलर डॉलर की धोखाधड़ी के आरोप में मुकदमे का सामना करने के लिए नीरव मोदी को भारत भेजे जाने का फैसला दिया था।
50 वर्षीय नीरव मोदी इस वक्त दक्षिण-पश्चिम लंदन की वांड्सवर्थ जेल में बंद है। ब्रिटेन की गृहमंत्री प्रीति पटेल ने नीरव मोदी को भारत को प्रत्यर्पित करने के आदेश पर दस्तखत किए थे। अप्रैल में नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण के बारे में जानकारी देते हुए गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया था कि, ‘जिला न्यायाधीश ने 25 फरवरी को नीरव मोदी प्रत्यर्पण मामले में फैसला दिया था।
प्रत्यर्पण आदेश पर 15 अप्रैल को हस्ताक्षर किए गए।’ इसके बाद नीरव मोदी के पास जिला न्यायाधीश और गृह मंत्री के आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए 14 दिन का वक्त बचा था। आपको बात दें कि नीरव के खिलाफ मामा मेहुल चौकसी के साथ मिलकर पीएनबी से धोखाधड़ी का आरोप है।