मंदिर का गुजरात-कनेक्शन
यह मंदिर सीयब इंटरनेशनल एयरपोर्ट से 35 किमी दूर सुल्तान पैलेस के पास स्थित है। इसके साथ ही मंदिर का गुजरात कनेक्शन भी है। दरअसल ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर गुजरात में कच्छ जिले के भाटिया व्यापारी समुदाय द्वारा बनवाया गया था। भाटिया समुदाय वर्ष 1507 में मस्कट में आके बसे थे। ऐसा कहा जाता है कि मस्कट में इस समुदाय के बसने के बाद यह गुजरातियों के लिए भारत से बाहर पहला निवास स्थान बना। इसका अंदाजा 16 वीं शताब्दी के बाद से ओमान की राजधानी में बने विभिन्न मंदिरों और धार्मिक-स्थलों से लगाया जा सकता है। ऐतिहासिक लेखों से पता चलता है कि गुजराती परिवारों का वहां 19वीं सदी की शुरुआत में इतना वर्चस्व था कि उन्होंने ओमान के सुल्तान सैयद सैद (1791-1856) को अपनी राजधानी मस्कट से ज़ांज़ीबार स्थानांतरित करने के लिए राजी कर लिया।
शिवरात्रि पर दिन-रात पहुंचते हैं श्रद्धालु
हालांकि मस्कट एक रेगिस्तान है, लेकिन वहां शिव मंदिर के परिसर के भीतर एक कूच है जहां पूरे वर्ष जल उपलब्ध होने की बात कही जाती है। इस मंदिर में महाशिवरात्री के दौरान, 20,000 से अधिक हिंदू श्रद्धालु दिन-रात दर्शन करने पहुंचते हैं। मंदिर में तीन देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं- श्री आदी मोतीश्वर महादेव मंदिर, श्री मोतीश्वर महादेव मंदिर और श्री हनुमानजी मंदिर। शिवरात्रि के अलावा, अन्य त्योहारों जैसे वसंत पंचमी, रामनवमी, हनुमान जयंती, श्रवण माह और गणेश चतुर्थी भी मंदिर में मनाए जाते हैं। यह मंदिर मस्कट में हिंदू समुदाय को एकजुट करने के लिए के लिए एक मंच प्रदान करता है। मंदिर में तीन पुजारी तीन सहायक स्टाफ और चार प्रशासनिक कर्मचारी हैं, साथ ही स्वयंसेवकों की एक पूरी सरणी उनकी सेवाएं प्रदान करने के लिए उपलब्ध है।