ये नज़ारा अपने आप में इतना खूबसूरत होता है कि इसे शब्दों में बयां करना नामुमकिन है बल्कि इसकी खूबसूरती को केवल महसूस किया जा सकता है। इस अद्भूत नज़ारे को देखकर आपके हाथ खूद ब खूद खूदा की इबादत में उठ जाते हैं। ऐसा होने के पीछे का कारण ये है कि इस मंदिर के सामने वाले हिस्से में रंगीन शीशों से जड़ा काम किया गया है।
जब सुबह की पहली किरण इन शीशों में से होकर मंदिर के अंदर स्थित फर्श पर बिछे हुए पर्शियन कार्पेट पर पड़ती है तो अंदर का नज़ारा देखने लायक होता है। यह नज़ारा मस्जिद में सुबह के कुछ ही घंटे रहता है। इस मंदिर की एक और विशेषता ये है कि मस्जिद के अंदर की दीवारों और गुम्बदों में रंगीन चित्रकारी की हुई है और इनमें गुलाबी रंग का प्रयोग अधिक मात्रा में किया गया है जिस कारण इसे गुलाबी मस्जिद भी कहते हैं।
इस मस्जिद को ईरान के शासक मिर्जा हसन अली नासिर अल मुल्क ने करवाया था। ये कज़र वंश के राजा थें। साल 1876 से 1888 के बीच इस मंदिर को बनाया गया था। मोहम्मद हसन ए मिमार और मोहम्मद रजा ने इस मस्जिद क ा डिज़ाइन किया था।