ट्रंप की ओर से घोषणा जारी होने के बाद भारतीय-अमरीकी पिचाई ने ट्वीट कर कहा कि आव्रजन ने अमरीका की आर्थिक सफलता में बहुत योगदान दिया है। उसकी वजह से प्रौद्योगिकी में उसे वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनाया है। इसके साथ ही गूगल को ऐसी कंपनी बनाया है जो वह आज है।’’ पिचाई का कहना है कि आज की घोषणा से वे निराश हुए हैं। हम आव्रजकों के साथ हैं और सभी के लिए अवसर पैदा करने के लिए काम करते रहेंगे।’
एक अलग बयान में ‘लीडरशिप कॉन्फ्रेंस ऑन सिविल एंड ह्यूमन राइट्स’ की अध्यक्ष एवं सीईओ वनीता गुप्ता का कहना है कि ट्रंप प्रशासन के इस कदम की वे निंदा करती हैं। उन्होंने कहा कि नस्ली और विदेशी विरोधी भावना का एक नया संस्करण है। ट्रंप प्रशासन में दक्षिण और मध्य एशिया के लिए प्रमुख राजनयिक रहीं एलिस जी वेल्स ने भी इस कदम पर ऐतराज जताया है। उन्होंने कहा कि एच1-बी वीजा कार्यक्रम के जरिए सर्वश्रेष्ठ और उत्कृष्ट को आकर्षित करने की क्षमता ने अमरीका को अधिक सफल और लचीला बनाया है। विदेशी प्रतिभाओं को बांधने की कला जानना अमरीका की ताकत है कमजोरी नहीं।
गौरतलब है कि अमरीका (America) में काम करने वाली कंपनियों को विदेशी कामगारों को मिलने वाले वीजा को H1-B वीजा कहते हैं। इस वीजा को एक तय अवधि के लिए जारी किया जाता है। अमरीका में काम करने के लिए H1-B वीजा पाने वाले लोगों में सबसे ज्यादा भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स हैं। ऐसे में वीजा पाबंदियों का सबसे अधिक नुकसान भारतीयों को होना तय है। हालांकि,ये भी कहा जा रहा है कि नई वीजा पाबंदियों से इस समय वर्क वीजा पर अमरीका में काम करने वाले लोगों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
इसे लेकर अमरीकी कंपनियों विशेषकर आईटी कंपनियों ने ट्रंप से दोबारा विचार करने का अनुरोध किया था। उनका कहना है कि इससे अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान होगा। इससे पहले,ट्रंप ने अप्रैल में कुछ विदेशियों के अमरीका में रहने पर अस्थायी तौर पर रोक लगाने का आदेश दिया था।