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Patrika Explainer: क्यों तमाम कोरोना संक्रमित लोगों में देखने को नहीं मिलते हैं कोई लक्षण?

नेचर जर्नल में प्रकाशित शोध पत्र में बताया गया है कि वैश्विक पहल द्वारा 25 देशों के 3,000 से अधिक शोधकर्ताओं के साथ मानव जीनोम का गहराई से अध्ययन किया जा रहा है। इसके जरिए ये कोरोना से संबंधित कई महत्वपूर्ण तथ्य उजागर हो सकते हैं।

Jul 10, 2021 / 10:11 pm

Anil Kumar

Patrika Explainer: Why are there no symptoms seen in all Covid-19 infected people?

लंदन। कोरोना महामारी से पूरी दुनिया जूझ रही है और इस संकट से निपटने के लिए तेजी के साथ व्यापक स्तर पर टीकाकरण अभियान को आगे बढ़ाया जा रहा है। लेकिन कोरोना के नए-नए वेरिएंट सामने आने और लोगों के संक्रमित होने का सिलसिला जारी है, जो बहुत ही चिंताजनक है।

वहीं, दुनियाभर में ऐसे लाखों मामले सामने आए हैं, जिनमें मरीज में कोरोना के कोई लक्षण दिखाई नहीं पड़ता है पर वह कोविड-19 से संक्रमित होता है। ऐसे में ये महत्वपूर्ण सवाल उठता है कि आखिर बिना किसी लक्षण दिखाई पड़े लोग कोरोना से इतनी संख्या में बीमार क्यों हो रहे हैं? इस सवाल ने दुनियाभर के वैज्ञानिकों को भी हैरान कर दिया है।

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इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए वैज्ञानिकों ने कई शोध किए हैं और अब मानव जीनोम की गहराई से अध्ययन कर रहे हैं। गुरुवार को नेचर जर्नल में प्रकाशित शोध पत्र में बताया गया है कि वैश्विक पहल द्वारा 25 देशों के 3,000 से अधिक शोधकर्ताओं के साथ मानव जीनोम का गहराई से अध्ययन किया जा रहा है।

शोधकर्ताओं ने बताया है कि जीनोम में 13 स्थान हैं जो वायरस या गंभीर मामलों की संवेदनशीलता से दृढ़ता से जुड़े हुए हैं। शोध में पहचाने गए 13 महत्वपूर्ण अनुवांशिक स्थानों में से कई पहले फेफड़ों के कैंसर और ऑटोम्यून्यून बीमारियों सहित अन्य बीमारियों से जुड़े थे।

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मार्च 2020 से शुरू किया गया है अध्ययन

तेजी से फैल रहे कोरोना के बारे में जानने के लिए पिछले साल मार्च में वैज्ञानिकों ने अध्ययन शुरू किया। वैज्ञानिक ये जानना चाहते थे वायरस कैसे फैलता है। अब तक किए गए सबसे बड़े जीनोम-वाइड एसोसिएशन अध्ययन में यह परिणत हुआ है, जिसमें शोधकर्ताओं ने लगभग 50,000 संक्रमित लोगों और दो मिलियन असंक्रमित लोगों की आनुवंशिक सामग्री का अध्ययन किया। वैज्ञानिकों का लक्ष्य ये पहचान करना था कि मानव डीएनए के कौन से बिट्स वायरस से बहुत बीमार होने वाले लोगों से संबंधित हैं।

अध्ययन के सह-लेखक और हेलसिंकी विश्वविद्यालय में आणविक चिकित्सा फिनलैंड संस्थान के निदेशक व हार्वर्ड विश्वविद्यालय में एक आनुवंशिकीविद् मार्क डेली ने कहा कि अब परिणाम कुछ जैविक मार्कर को इंगित करने में मदद कर सकते हैं जिनका उपयोग मौजूदा दवाओं या दवाओं के पुनः उपयोग के लिए किया जा सकता है।

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द नेचर की रिपोर्ट में सार्स-सीओवी-2 संक्रमण और कोविड-19 की गंभीरता में मानव आनुवंशिकी की भूमिका की जांच करने वाले 46 अध्ययनों और तीन मेटा-विश्लेषणों की जानकारी का सारांश दिया गया है। इस तरह के आनुवंशिक अध्ययनों के परिणाम दवा निर्माताओं को बाजार में पहले से मौजूद संभावित उपचारों की पहचान करने के अलावा नए उपचार विकसित करने के लिए एक प्रारंभिक बिंदु प्रदान करने में काफी मदद कर सकते हैं।

TYK2 जीन

शोधकर्ताओं ने पाया कि मानव के एक जीन जो कोविड-19 के साथ रोग की गंभीरता से दृढ़ता के साथ जुड़ा हुआ मालूम पड़ता है। उस जीन को TYK2 के रूप में जाना जाता है। यह जीन स्वस्थ लोगों में प्रतिरक्षा संकेत और इनफ्लामेट्री संकेत को शरीर में भेजने वाले मार्गों को नियंत्रित करने में मदद करता है।

इससे पहले, शोधकर्ताओं ने कोविड -19 से जुड़े TYK2 जीन के एक प्रकार को ऑटोइम्यून बीमारियों के लिए कम जोखिम लेकिन टीबी (तपेदिक) के बढ़ते जोखिम से जुड़ा पाया था। अध्ययन में एक अन्य जीन FOXP4 की पहचान की गई, जो कि फेफड़ों के कैंसर से जुड़ा हुआ है। FOXP4 वेरिएंट उस जीन की स्वतंत्रता को बढ़ाता हैऔर यह सुझाव देता है कि जीन को रोकना कोविड के इलाज के लिए एक रणनीति हो सकती है।

शोधकर्ताओं ने जिन आनुवंशिक स्थानों की पहचान की है, उनमें एक लिंक नहीं है जो स्पष्ट रूप से कोविड के साथ इसके जुड़ाव को स्पष्ट करता है। वायरस और मानव डीएनए के बीच की सभी जटिलताओं को सुलझाने के लिए अभी और अधिक अध्ययन की आवश्यकता होगी।

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