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एफएटीएफ की ग्रे सूची में पाकिस्तान: क्या, क्यों और कैसे ?

FATF ने एक बार फिर से पाकिस्तान ( Pakistan ) को अपनी ग्रे लिस्ट में डाल दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई अब अक्टूबर 2019 में होगी।

Jun 23, 2019 / 01:11 am

Siddharth Priyadarshi

नई दिल्ली। मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को “रणनीतिक कमियों वाले क्षेत्राधिकार” की सूची में डाल दिया है, जिसे आमतौर पर ग्रे लिस्ट के नाम से जाना जाता है। इस फैसले के पीछे एफएटीएफ का तर्क है कि पाकिस्तान के पास आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने के लिए ‘संरचनात्मक अभाव’ (structural deficiencies) है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान के साथ ही इस सूची में इथियोपिया, सर्बिया, श्रीलंका, सीरिया, त्रिनिदाद और टोबैगो, ट्यूनीशिया और यमन को भी शामिल किया हुआ है।

टेरर फंडिंग का पुराना खिलाड़ी है पाकिस्तान

हालांकि यह पहली बार नहीं हुआ है जब एफएटीएफ ( Financial Action Task Force ) ने पाकिस्तान को इस सूची डाला हो। इसके पहले भी पाकिस्तान 2008 में एफएटीएफ की सूची में रहा है। इसके बाद 2012 से 2015 तक भी पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रहा है।

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एफएटीएफ की इस लिस्ट में पाकिस्तान सबसे अहम नाम इसलिए भी बन जाता है क्योंकि पाकिस्तान इस सूची में से सबसे बड़ी आबादी और सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के साथ-साथ सबसे बड़ी सेना भी रखता है।

क्या कहता है एफटीएफ का कानून

एफएटीएफ ने अपने कानून में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद दिनों को एक साथ रखा है। इसके अनुसार मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद का वित्तपोषण दोनों वित्तीय अपराध हैं। साधारण शब्दों में, मनी लॉन्ड्रिंग का मतलब गलत तरीकों से अर्जित धन को वैध स्रोतों के माध्यम से अर्जित धन में बदलना है। इस तरह के अपराध की श्रेणी में भ्रष्टाचार, मादक पदार्थों की तस्करी, धोखाधड़ी या कर चोरी भी शामिल हो सकता है। जबकि आतंकवादी वित्तपोषण में आतंक या आतंकवादी संगठनों के समर्थन करने के लिए धन का जुटाना इसमें शामिल है।

दोनों के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि, मनी लॉन्ड्रिंग में, अर्जित धन का स्रोत ‘अपराध’ होता है। वहीं आतंकवाद के वित्तपोषण में धन पूरी तरह से वैध स्रोतों से भी आ सकता है जैसे कि सामान्य नागरिकों से दान आदि से, लेकिन पैसे को इकठ्ठा करने के पीछे उद्देश्य एक आपराधिक गतिविधि को अंजाम देना होता है।

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AML और CFT के अंतरराष्ट्रीय मानक

एफएटीएफ ने 40 सिफारिशों के आधार पर एएमएल ( anti-money laundering ) और सीएफटी ( combating financing of terrorism ) पर अंतर्राष्ट्रीय मानक बनाए हैं। हालांकि समय के साथ ये सूची अपडेट की जाती रही है। इस सूची में शामिल मानकों का किसी देश के पास होना आवश्यक है।

1- जोखिमों की पहचान करें, और नीतियों और घरेलू समन्वय का विकास करें
2- वित्तीय क्षेत्र और अन्य नामित क्षेत्रों के लिए निवारक उपाय लागू करें
3- सम्बंधित अधिकारियों (मुख्यतः कानून प्रवर्तन और निगरानी प्राधिकरण) और अन्य संस्थागत उपायों के लिए शक्तियों और जिम्मेदारियों को स्थापित करना
4- कानूनी व्यक्तियों और व्यवस्थाओं के लाभकारी स्वामित्व की जानकारी को पारदर्शी बनाए रखना
5- अंतरराष्ट्रीय सहयोग की सुविधा सुनिश्चित करना ।

FATF कैसे करता है किसी देश का मूल्याकंन?

एफएटीएफ अपने आकलन पद्धति के आधार पर किसी देश के प्रदर्शन का मूल्यांकन करता है। इसमें तकनीकी अनुपालन, जो कानूनी और संस्थागत ढांचे और सक्षम अधिकारियों की शक्तियों और प्रक्रियाओं के बारे में होता है। इसके साथ प्रभावशीलता का आकलन, जो कि इस तथ्य पर आधारित है कि किसी देश के कानूनी और संस्थागत ढांचे किस प्रतिशत में अपेक्षित परिणाम दे रहे हैं।

पाकिस्तान मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद का वित्तपोषण कैसे करता है

पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक मनी लॉन्ड्रर्स और आतंकवादी अपने अपराधों की रिपोर्ट नहीं करते हैं। इन अपराधों को सीधे मापना असंभव नहीं तो लेकिन बहुत मुश्किल है। एफएटीएफ और अन्य लोग कानूनों और उनके कार्यान्वयन का मूल्यांकन करके इन अपराधों के लिए एक देश की विश्वसनीयता को जानने की कोशिश करते हैं। लेकिन भिन्न-भिन्न संस्थाओं द्वारा पाकिस्तान का आकलन समान नहीं है।

उदाहरण के लिए बेसल एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग इंडेक्स द्वारा पाकिस्तान की रैंकिंग को देखना चाहिए। यह सूचकांक मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के जोखिम को मापने का प्रयास करता है। इस सूची में साल 2017 में पाकिस्तान को 146 देशों में से 46वें स्थान पर रखा गया है, वहीं ताजिकिस्तान (4), माली (7), केन्या (11), सिएरा लियोन (26), और पनामा (30) का भी नाम आता है लेकिन ये सभी वर्तमान में एफएटीएफ की निगरानी सूची में नहीं है।

इंस्टिट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस द्वारा ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स, जो खुद को “एक स्वतंत्र, गैर-पक्षपातपूर्ण, गैर-लाभकारी थिंक टैंक” के रूप में वर्णित करता है, यह पाकिस्तान को आतंकवाद से पांचवें सबसे प्रभावित देश के रूप में इराक, अफगानिस्तान, नाइजीरिया और सीरिया के पीछे शुमार करता है।

पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट किए जाने का ख़तरा

पकिस्तान को ग्रे सूची में रखे जाने से सबसे बड़ा खतरा यह है कि यदि पाकिस्तान ने अक्टूबर 2019 तक एफएटीएफ के मानकों को पूरा नहीं किया तो इसे ब्लैक लिस्ट में डालने की संभावना बढ़ जाती है। फिलहाल इस ब्लैक लिस्ट में ईरान और उत्तर कोरिया शामिल हैं। फिलहाल पाकिस्तान पर कोई तात्कालिक खतरा नहीं है क्योंकि पाकिस्तान 2012 से 2015 तक एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में था और इसी समय वह न केवल आईएमएफ से कर्ज लेने में सफल रहा बल्कि अंतरराष्ट्रीय बॉन्ड बाजारों से पैसा उठाने में उसे कामयाबी मिली थी ।

 

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