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दुनिया में हमेशा याद रहेगा यह मून मिशन, लीक हो गई थी चांद पर अंतरिक्ष यात्रियों की बातचीत

ISRO अभी तक चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क नहीं साध पाया है
मरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने विक्रम के बारे में सूचना देने की उम्मीद जताई
NASA का लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर (एलआरओ) उसी स्थान के ऊपर से गुजरेगा

Nov 14, 2019 / 08:50 am

Mohit sharma

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नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अभी तक चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से संपर्क नहीं साध पाया है।

हालांकि अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने विक्रम के बारे में कोई सूचना देने की उम्मीद जताई है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है कि उसका लूनर रिकनैसैंस ऑर्बिटर (एलआरओ) उसी स्थान के ऊपर से गुजरेगा, जिस स्थान पर भारतीय लैंडर विक्रम के गिरने की संभावना जताई गई है। वहीं, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन 2020 के नवंबर महीने में चंद्रयान-3 की लॉंचिंग कर सकता है। भारतीय स्पेस एजेंसी इस पर तेजी के साथ काम कर रही है। इसरो मैनेजमेंट ने अपने इस सुपर मिशन के लिए तक लॉन्च करने की समय सीमा भी सुनिश्चित कर दी है। इसरो ने एक न्यूज पेपर को जानकारी देते हुए बताया कि इसके लिए कई समितियां बनाई गई हैं। वहीं

लेकिन इसरो भले ही अभी तक लैंडर से संपर्क बनाने में असफल रहा हो, लेकिन इसकी चर्चा दुनिया भर में है। इसके साथ ही अंतरिक्ष और मिशन मून को लेकर कुछ ऐसे किस्से भी वाकये भी चर्चा में आ गए हैं, जो किसी न किसी मायने में काफी अहम रहे।

ऐसा ही वाकया नासा के मिशन मून अपोलो 16 के दौरान हुआ। 16 अप्रैल 1972 को लॉंचिंग के बाद जब अंतरिक्ष यात्री जॉन यंग चांद पर घूम रहे थे।

तब उन्होंने अपने साथी चार्ली ड्यूक के साथ अंतरिक्ष के खान-पान पर चर्चा छेड़ दी। लेकिन गलती से उन दोनों की बातचीत हुई बातचीत कंट्रोल रूम में बैठे लोगों के साथ ही बाकी दुनिया ने भी ने भी सुन ली। इस बातचीत में यंग खान पान को लेकर बात कर रहे थे।

दरअसल, वह उनको गैस बन रही थी। उन्होंने अपने साथ से कहा कि पता नहीं खाने में क्या मिलाकर दिया जा रहा। एसिड बहुत बन रहा है।

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यंग यहीं नहीं रुके, उन्होंने कहा कि जितने साइट्रस फल इस मिशन के दौरान खाए हैं, इतने तो वह 20 सालों में भी नहीं खा पाए होंगे।

आपको बता दें कि किसी भी अंतरिक्ष मिशन के समय यात्रियों के स्वास्थ्य से जुड़ा पूरा डेटा कलेक्ट किया जाता है। ऐसे में उनको होने वाली बीमारियों और अन्य समस्याओं को भी बारीकी से विश्लेशन किया जाता है।


वहीं अपोलो 13 के अंतरिक्ष यात्रियों को पानी की कमी की वजह से डिहाइड्रेशन हो गया था. जिसके बाद उन्हें बहुत गैस बनने लगी।

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