नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में ममता दीदी भी होंगी शामिल, कहा- यह औपचारिक कार्यक्रम
पाकिस्तान को आमंत्रण क्यो नहीं मिला?
दरअसल, मोदी सरकार के 2014 में सत्ता में आने के बाद से पड़ोसी देशों के साथ बेहतर रिश्ते बनाने की कोशिश की शुरूआत की गई है। लिहाजा शपथग्रहण समारोह में SAARC देशों के नेताओं को आमंत्रित किया गया। पड़ोसी देशों में खासकर पाकिस्तान के साथ रिश्तों को बेहतर करने की कोशिश की गई। लेकिन पाकिस्तान की ओर से लगातार क्रॉस बॉर्डर आतंकी घटनाओं को बढ़ावा देने के कारण रणनीति में बदलाव किया गया। जब 2016 में पठानकोट और उरी में बड़े हमलों को अंजाम दिया गया तो मोदी सरकार सोचने पर विवश हो गया। 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक और 2018 में पुलवामा हमले के बाद बालाकोट में एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान को साफ-साफ संदेश दिया। मोदी सरका ने 2016 हमले के बाद ही साफ कर दिया कि वार्ता और आतंक साथ-साथ नहीं चल सकता है। इसलिए 2016 के बाद से भारत-पाक के बीच द्विपक्षीय वार्ता बंद है। लिहाजा इस बार के शपथग्रहण समारोह से पाकिस्तान को दूर रखा गया।
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BIMSTEC ही क्यों?
दरअसल, 2016 तक मोदी सरका के एजेंडे में BIMSTEC था ही नहीं, लेकिन पाकिस्तान की हरकतों और छल की वजह से भारत सोचने पर मजबूर हो गया। 2016 में हुए हमलों के बाद भारत ने इस्लामाबाद में आयोजित होने वाले SAARC सम्मेलन का बहिष्कार किया। इसमें BIMSTEC देशों का साथ भारत को मिला। सभी ने पाकिस्तान का बहिष्कार किया, लिहाजा SAARC समिट को स्थगित करना पड़ा। जिससे पाकिस्तान समूह में अलग-थलग पड़ गया और भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर कूटनीतिक जीत का दावा किया। 2016 में ही गोवा में BRICS ( Brazail, Russia, India, China and South Africa ) समिट हुआ, जिसके बाद पीएम मोदी ने अक्टूबर 2016 में बिमस्टेक नेताओं के साथ एक शिखर सम्मेलन की भी मेजबानी की। इसके बाद 2017 में BIMSTEC समिट में नरेंद्र मोदी ने यह घोषणा की कि यह नेबरहुड फर्स्ट और एक्ट ईस्ट की हमारी प्रमुख विदेश नीति की प्राथमिकताओं को पूरा करने के लिए एक प्राकृतिक मंच है। चूंकि BIMSTEC में पाकिस्तान शामिल नहीं है, लिहाजा आतंकवाद के मुद्दे पर पूरी दुनिया के सामने अलग-थलग करने व बेनकाब करने के लिए रणनीति के तहत BIMSTEC को चुना गया है।
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क्या है BIMSTEC?
बता दें कि BIMSTEC ( Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation ) एक क्षेत्रीय समूह हैं, जिसमें बांग्लादेश, म्यांमार, भारत, श्रीलंका, थाइलैंड, भूटान और नेपाल शामिल है। इसकी स्थापना 1997 में बंगाल की खाड़ी की समुद्री अर्थव्यवस्थाओं को एकीकृत करने के उद्देश्य से भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, थाइलैंड और श्रीलंका ने मिलकर किया था। बाद में इस समूह में नेपाल और भूटान भी शामिल हो गया। इस समूह में अफगानिस्तान, मालदीव और पाकिस्तान को छोड़कर सभी प्रमुख दक्षिण एशियाई राष्ट्र शामिल हैं। बिमस्टेक भारत के लिए रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि चीन ने बंगाल की खाड़ी की ओर अपना ध्यान बड़े पैमाने पर लगाया है। चीन के लिए बंगाल की खाड़ी एक प्रमुख व्यापार मार्ग, मलक्का जलडमरूमध्य के लिए एक फ्यूनल की तरह काम करती है, जिसने भारत और भूटान को छोड़कर बिमस्टेक देशों में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शुरू की हैं।लगभग 25 प्रतिशत वैश्विक व्यापार का मार्ग बंगाल की खाड़ी में है और विशेष रूप से ऊर्जा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अप्रयुक्त संसाधन हैं – प्राकृतिक गैस का विशाल भंडार, बिजली आपूर्ति का भविष्य। बिमस्टेक के साथ भारत का मजबूत संबंध इसे बंगाल की खाड़ी में चीन और अन्य प्रमुख शक्तियों पर अतिरिक्त लाभ देगा। लिहाजा मोदी सरकार ने शपथग्रहण में बिम्सटेक देशों को आमंत्रित कर एक मजबूत रिश्ता कायम करने की कोशिश की है।
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