मोदी पार्ट-2: कितना सच होगा कश्मीर समस्या को सुलझाने का इमरान खान का दावा
हालिया घटनाक्रम
कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ ( CRPF ) पर पाकिस्तानी आतंकी हमले के बाद दोनों देशों में काफी तनाव बढ़ गया। भारत ने हमले का बदला लेने के लिए बालाकोट में एयर स्ट्राइक ( air strike ) किया। जिसके बाद से पाकिस्तान के अंदर खलबली मच गई। दुनियाभर में यह संदेश साफ चला गया कि पाकिस्तान आतंकवाद को पनाह देता है, जबकि हमेशा से इनकार करता रहा है। बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। इस कारण संभवत: मोदी सरकार इमरान खान को आमंत्रण न देकर एक सख्त संदेश देना चाहते हों कि भारत से रिश्ते अच्छे रखने हों तो पहले आतंकवाद को छोड़ना होगा।
मोदी सरकार का कमिटमेंट
मोदी सरकार जब सत्ता में आई तो पाकिस्तान को लेकर एक कमिटमेंट था कि आतंकवाद और वार्ता साथ-साथ नहीं चल सकता है। लिहाजा भारत ने पाकिस्तान के साथ द्विपक्षी वार्ता रद्द कर दिया है। भारत ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान जब तक आतंकवाद नहीं छोड़ता है और आतंकवादियों पर कार्रवाई नहीं करता है तबतक कोई भी वार्ता नहीं होगी। यदि मोदी सरकार पाकिस्तान को ऐसे में बुलाता है तो एक बार फिर से विपक्ष के निशाने पर आ जाएगा। पाकिस्तान को लेकर जो नीति अपनाई गई है, उसको लेकर सवाल खड़े हो जाएंगे। लिहाजा विपक्ष के आरोपों से बचने के लिए मोदी सरकार ने पाकिस्तान को आमंत्रण नहीं भेजा है।
‘मेक इन इंडिया’ की बढ़ी ताकत, हर चीनी दुश्मन देश के पास होगा भारतीय हथियार
दक्षिण एशियाई देशों में भारत का वर्चस्व
भारत आर्थिक तौर पर मजबूती के साथ तेज गति से आगे बढ़ रहा है। लिहाजा चीन खुद को एशिया में एक आर्थिक महाशक्ति के तौर पर खुद को उभरता हुआ देख रहा है और चीन को भारत कड़ी टक्कर देते हुए आगे बढ़ रहा है। ऐसे में दक्षिण एशियाई देशों के साथ भारत के बेहतर रिश्तों को और आगे बढ़ाते हुए चीन को पीछे धकेलने की मोदी की रणनीति हो सकती है। कई ऐसे देश हैं जिनका संबंध चीन से अच्छे नहीं है, उसका फायदा उठाकर भारत अपने संबंधों को और भी प्रगाढ़ करना चाहता है। जिससे की दक्षिण एशियाई देशों में भारत का वर्चस्व बढ़े और एक वैश्विक ताकत के तौर पर दुनिया में उभर कर सामने आए। यहां पर गौर करने की बात यह है कि पाकिस्तान चीन का बहुत करीबी है, जबकि बिम्सटेक देशों के साथ (भारत के अलावा नेपाल ( Nepal ), भूटान ( Bhutan ) , बांग्लादेश ( Bangladesh ), श्रीलंका ( Sri Lanka ), थाइलैंड ( Thailand ) और म्यांमार ( Myanmar )) चीन के रिश्ते अच्छे नहीं हैं।
अमरीकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट की चिंता, हिंदू राष्ट्रवाद के एजेंडे पर आगे बढ़ेंगे नरेंद्र मोदी
SCO में मजबूत भागीदारी
अभी पिछले दिनों ही शंघाई सहयोग कॉर्पोरेशन की बैठक ( SCO ) किर्गिस्तान में संपन्न हुआ। इस बैठक में तमाम सदस्य देशों के विदेश मंत्री इस बैठक में शामिल हुए। आगामी महीने सदस्य देशों के प्रधानमंत्री इस बैठक में भाग लेंगे। पीएम मोदी SCO सम्मेलन में भाग लेने से पहले शपथग्रहण समारोह में अपनी ताकत को दिखाना चाहते हैं। शपथग्रहण में बिम्सटेक देशों के अलावा मॉरिशस और किर्गिज गणराज्य के राष्ट्राध्यक्ष भी शामिल होंगे। इससे पाकिस्तान पर दबाव बनेगा। नरेंद्र मोदी पाकिस्तान को आमंत्रित नहीं करके अपनी मजबूत राजनीति निर्णय क्षमता को दिखाना चाहते हैं और अंतर्राष्ट्रीय राजनीति पर पाकिस्तान को बेनकाब करना चाहते हैं।
Read the Latest World News on Patrika.com. पढ़ें सबसे पहले World News in Hindi पत्रिका डॉट कॉम पर. विश्व से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर.