इसके साथ ही अब धारा 370 और 35ए समाप्त हो गया है और सरकार ने जम्मू-कश्मीर से राज्य का दर्जा छीन कर केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया है। इसके अलावा लद्दाख को कश्मीर से अलग एक केंद्र शासित प्रदेश बनाया है।
इन तमाम घटनाक्रम को लेकर जहां देश में विपक्षी दलों से लेकर सत्ताधारी पार्टी के कुछ घटक दलों ने एतराज जताया है तो वहीं पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी हलचल देखने को मिल रहा है।
सरकार यह नहीं चाहती थी कि उनके इस फैसले के बाद घाटी का माहौल खराब हो, लिहाजा पहले से ही सैनिकों की तैनाती कर दी। कुछ भी अनहोनी से निपटने के लिए सरकार ने यह कदम ऐहतियात के तौर पर उठाया था।
बहरहाल, जम्मू-कश्मीर के संबंध में मोदी सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले का असर घाटी, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अन्य पड़ोसी देशों के अलावा दुनिया की नजर में क्या होगा, इसे हम समझने की कोशिश करते हैं।
पाकिस्तान का प्रोपेगैंडा
पहली बात यह है कि जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश होने से सीधे तौर पर केंद्रीय सत्ताधारी पार्टी का दखल होगा। अभी कश्मीर को लेकर भारत-पाकिस्तान में दशकों से तनाव है। भारत हमेशा से कहता रहा है कि यह द्विपक्षीय मुद्दा है और दोनों देश आपस में मिल-बैठकर इसका समाधान निकालेंगे।
जबकि पाकिस्तान लगातार इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाता रहा है और वैश्वक हस्तक्षेप की मांग करता रहा है। अभी हाल ही में इमरान खान ने अमरीका दौरे पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से इस संबंध में हस्तक्षेप करने की मांग की थी। इसपर ट्रंप ने मध्यस्थता की पेशकश की थी।
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अब मोदी सरकार के इस फैसले से पाकिस्तान एक बार फिर दुनिया के सामने यह दिखाने की कोशश करेगा कि भारत ने पाकिस्तान से बात किए बगैर कश्मीर मामले पर मनमानी कर रहा है। ऐसे में कश्मीर पर भारत के लिए दुनिया के नजर में पाकिस्तानी प्रोपेगैंडा का असर हो सकता है।
पाकिस्तान यह आरोप लगाता रहा है कि भारत कश्मीर में मानवाधिकार का उल्लंघन कर रहा है। धारा 370 और 35ए के हटाने को लेकर पाकिस्तान ने अभी से ही राग अलापना शुरू कर दिया है कि मोदी सरकार क्षेत्रीय राजनीति दलों व आम कश्मीर नागरिकों के अधिकारों का हनन कर रही है। उनके संवैधानिक अधिकारों का छीना जा रहा है।
इसे लेकर दुष्प्रचार बढ़ेगा, दुनिया की नजरों में भारत की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जाएगा। घाटी में सैनिकों की तैनाती को लेकर बीते दिन इमरान खान ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से दखल देने की मांग भी की थी।
अफगानिस्तान शांति पर असर
मोदी सरकार के इस फैसले का सबसे अधिक असर पाकिस्तान पर देखने को मिलेगा। लेकिन यह भी सही है कि पाकिस्तान पर पड़ने वाला असर वापस भारत के लिए ही खतरनाक साबित हो सकता है।
दरअसल, अफागानिस्तान में शांति बहाली को लेकर अमरीका तालिबान से वार्ता कर रहा है और साथ ही पाकिस्तान इस मामले में अमरीका की मदद कर रहा है। अब ऐसे में यदि पाकिस्तान में कश्मीर मसले को लेकर तनाव रहता है तो इसका सीधा असर अफगानिस्तान पर पड़ेगा।
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अफगानिस्तान से अमरीकी सेना के निकलने के बाद पाकिस्तानियों के लिए अफगानिस्तान में हस्तक्षेप आसान हो जाएगा। चूंकि भारत ने अरबों रूपए का प्रोजेक्ट अफगानिस्तान में शुरू किए हैं, यह सब खट्टाई में पड़ सकता है। पाकिस्तान कभी भी नहीं चाहेगा कि भारत अफगानिस्तान में अपना वर्चस्व बढ़ाए।
पाकिस्तानी मीडिया में इस बात का जिक्र है कि अफगानिस्तान में शांति बहाली के बाद पूरी दुनिया का ध्यान कश्मीर विवाद पर जाएगा। इसलिए भारत ने कश्मीरियों के संवैधानिक अधिकारों को छीन रही है।
चीन के साथ भी बढ़ सकता है तनाव
मोदी सरकार के इस फैसले का असर पाकिस्तान, अफगानिस्तान के अलावा चीन पर भी देखने को मिल सकता है। दरअसल, पाकिस्तान के साथ चीन के अच्छे संबंध हैं और ऐसे में भारत के इस कदम से चीन भी परेशान हो सकता है।
चूंकि चीन पाकिस्तान में हजारों करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट शुरू किया है, यदि पाकिस्तान अस्थिर होता है तो चीन को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसलिए चीन कभी नहीं चाहेगा कि पाकिस्तान में अस्थिरता आए।
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इसके अलावा अब चीनी सीमा पर भी भारतीय गतिविधियों की निगरानी तेज कर दी जाएगी। चूंकि अब लद्दाख एक अलग केंद्र शासित प्रदेश होगा।
ऐसे में लद्दाख से सटे चीनी सीमा पर कुछ हलचल भी देखने को मिल सकता है। कई ऐसे चीनी प्रोजेक्ट हैं जो लद्दाख के सीमा से होकर गुजर रही है, जिसका भारत ने विरोध भी जताया है।
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