गौतरलब है कि ट्रंप ने H1B व अन्य कार्य वीजा पर इस साल के अंत तक रोक लगाने का ऐलान किया था। मगर विरोध को देखते हुए कुछ ही देर बाद वाइट हाउस ने एक बयान में कहा कि मेरिट पर आधारित आव्रजन प्रणाली पर काम किया जा रहा है। बयान में कहा गया है कि ट्रंप प्रशासन बेहद कुशल श्रमिकों को प्राथमिकता देने और अमरीकी लोगों की नौकरियों की सुरक्षा के लिए आव्रजन प्रणाली में सुधार करेगा।
वाइट हाउस ने कहा कि इन सुधारों के तहत एच1बी वीजा में,सबसे अधिक वेतन वालों के आवेदन को प्राथमिकता मिलेगी। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि ज्यादा कुशल और पेशेवर लोग देश में काम करने आएं। ट्रंप प्रशासन उन खामियों को भी दूर करने की कोशिश करेंगे, जिनका फायदा उठाकर नियोक्ता अमरीकी श्रमिकों की जगह कम तनख्वाह पर विदेशी कामगारों को काम पर रख लेते हैं।
नौकरियां बचेंगी, विदेशियों का भी फायदा होगा वाइट हाउस के अनुसार इन सुधारों से अमरीकी कामगारों की नौकरियां बचेंगी। साथ ही इससे यह भी तय होगा कि हमारे देश में आने वाले विदेशी श्रमिक अत्यधिक कुशल हैं और उनके आने से अमरीका के श्रमिकों का नुकसान नहीं होगा। अमरीका के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के अनुसार हर साल 85,000 लोगों को एच1बी वीजा दिया जाता है। इसमें से 70 प्रतिशत भारतीयों को यह वीजा दिया जाता है। बीते साल इस वीजा के लिए करीब 2,25,000 लोगों ने आवेदन किया था। अधिकारी ने कहा कि इस फैसले से 2020 में लगभग 5,25,000 नौकरियां खाली हो जाएंगी।
विदेशी निवेश को चोट पहुंचेगी अमरीका के कॉरपोरट जगत का मानना है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार के एच-1बी वीजा पर अस्थायी रोक लगाने से नवोन्मेष, निवेश और विदेशों में आर्थिक गतिविधियों पर गहरा असर पड़ सकता है। इतना ही नहीं यह वृद्धि की रफ्तार को कम करेगा और इससे रोजगार कम पैदा होगा।