अब एक नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बड़ा खुलासा किया है। शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि 6.6 करोड़ साल पहले पृथ्वी में उल्कापिंडों के गिरने से सामुहिक विनाश के कारण कई जीव-जंतुओं का समूल नाश हो गया था।
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इस घटना के कारण पृथ्वी के वातावरण में सल्फर की मात्रा बढ़ गई थी, जिससे समुद्र का पानी और भी अधिक अम्लीय (खारा) हो गए थे।
बता दें कि यह शोध अमरीका की येल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि लाखों साल पहले भारी मात्रा में पृथ्वी पर उल्कापिंडों के गिरने से लगभग तीन चौथाई जीव-जंतु और वनस्पतियां विलुप्त हो गई।
साथ ही इन उल्कापिंडों से निकली सल्फर गैस पृथ्वी के पूरे वातावरण में फैल गई, यही वजह है कि समुद्र का पानी भी अधिक अम्लीय हो गया था।
इस तरह से किया गया शोध
शोधकर्ताओं द्वारा किया गया अध्ययन पीएनएएस नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। प्रकाशित रिपोर्ट में यह बताया गया है कि ‘क्रेटेशियस-पेलोजीन’ यानी सामूहिक विनाश के लिए महासागरों के पीएच स्तर में तेज गिरावट जिम्मेदार है।
माना जाता है कि क्रेटेशियस-पेलोजीन के बाद पृथ्वी से सैकड़ों जीव विलुप्त हो गए, इसे ‘के-पीजी विलुप्ति’ भी कहा जाता है।
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शोधकर्ताओं ने अध्ययन के लिए के-पीजी विलुप्ति की घटना से पहले के प्लैंकटन के जीवाश्मों की रासायनिक संरचना का विश्लेषण किया। इसके बाद जो भी डाटा सामने आया उसके अध्ययन किया गया जिससे ये बातें सामने आई है।
बता दें कि जलधारा द्वारा प्रवाहित होते रहते जीवों को प्लैंकटन कहते हैं। ये जीव समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का अहम हिस्सा होते हैं।
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