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किम जोंग उन: सनकी तानाशाह, सबसे ‘भरोसेमंद’

कोरिया रिसर्च सेंटर के एक सर्वेक्षण में 78 प्रतिशत लोगों ने उत्तर कोरियाई तानाशाह पर भरोसा जताया है।

May 03, 2018 / 09:03 am

Siddharth Priyadarshi

नई दिल्ली। दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जे इन और उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति किम जोंग उन के बीच शुक्रवार की बैठक के बाद कोरिया रिसर्च सेंटर के एक सर्वेक्षण में 78 प्रतिशत लोगों ने उत्तर कोरियाई तानाशाह पर भरोसा जताया है। राष्ट्रीय प्रसारक एमबीसी की ओर से इस सप्ताह के शुरू में किए गए चुनाव में 35 प्रतिशत से अधिक लोगों ने कहा कि सबसे बड़ी उपलब्धि परमाणु हथियारों से कोरियाई प्रायद्वीप की मुक्ति थी। लगभग 30 प्रतिशत लोगों ने कहा कि किम जोंग के सुझाव पर सीमा पर मून के साथ सम्मलेन करना बहुत महत्वपूर्ण उपलब्धि थी।
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तानाशाह पर भरोसा

एमबीसी टेलीविजन चैनल द्वारा इस हफ्ते जारी एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 78 प्रतिशत से अधिक दक्षिण कोरियाई लोग अब किम जोंग को भरोसेमंद मानते हैं। 60 प्रतिशत ने कहा कि किम जोंग भरोसेमंद हैं, जबकि 17 प्रतिशत ने उन्हें अधिक भरोसेमंद माना है। यह गैलप कोरिया चुनाव 13 और 15 मार्च के बीच आयोजित किया गया था। इसमें 1003 दक्षिण कोरियाई लोगों ने टेलीफोन पर वोटिंग की थी। इन सर्वेक्षणों में चौकाने वाली बात यह रही कि 67 प्रतिशत दक्षिण कोरयाई लोगों ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को नकारात्मक रैंकिंग दी। 64 प्रतिशत लोगों ने यह विचार किया कि उत्तरी कोरिया कभी भी अपने परमाणु कार्यक्रम को छोड़ देगा।
दक्षिण कोरिया में किम जोंग के लिए समर्थन अब मून के जितना ही है। उधर मून भी एक साल पहले अपने दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति के रूप में नियुक्ति के बाद से इतिहास में सभी दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपतियों में अब तक सबसे ज्यादा पॉपुलर हुए हैं।
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ऐतिहासिक रही किम जोंग और मून की बैठक

दोनों देशों के संबंधों के लिहाज से यह बैठक बहुत महत्वपूर्ण रही। दोनों नेताओं ने अंततः सात दशक के युद्ध को समाप्त करने के लिए एक घोषणा पर हस्ताक्षर किए और कोरियाई प्रायद्वीप की बेहतरी के लिए कई मुद्दों पर समझते किए। किम जोंग उन ने पिछले शुक्रवार के ऐतिहासिक अंतर-कोरियाई शिखर सम्मेलन के दौरान दुनिया के लिए अपना एक अलग पक्ष दिखाया। उन्होंने दक्षिण कोरिया के साथ परमाणु मुद्दे पर बात करने का वचन दिया। उत्तरी कोरियाई नेता ने स्वीकार किया कि वह बुनियादी ढांचे जैसे प्रमुख क्षेत्रों में दक्षिण कोरिया से बहुत पीछे हट गए। किम ने दक्षिण कोरियाई श्रोताओं तक पहुंचने के लिए उनकी ही भाषा में संबोधन दिया।
मीडिया में चर्चा है कि हथियारों के परीक्षण और बेलिकोस के खतरों के एक साल बाद दोनों देशों के संबंधों में यह एक उल्लेखनीय बदलाव है। ऐसा लगता है कि दक्षिण कोरियाई लोगों के बीच किम जोंग के इरादों का फिर से मूल्यांकन किया गया है।
 

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