इजरायल के PM नेत्नयाहु ने गाजा पर हमले के दिए आदेश, 8 फिलिस्तीनी समेत 9 की मौत
नई सरकार बनाने में यहां की महिलाओं का रहेगा अहम योगदान, यहां पर हर आंदोलन में रहीं सबसे आगे, इस तरह से सुखोई विमान में आग लगने के बाद हुआ बड़ा हादसा, यात्रा के दौरान अचानक, इस तरह से
सूडान की तानाशाही को उखाड़ फेंकने में महिलाएं रहीं सबसे आगे प्रदर्शनकारियों में दो तिहाई महिलाएं थीं महिलाओं की भागीदारी के बिना क्रांति संभव नहीं नई सरकार बनाने में उनका बड़ा योगदान है अब नई सरकार में उनके योगदान को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। खार्तूम। सूडान में राष्ट्रपति ओमर अल बशीर को दशकों बाद सत्ता को उखाड़ फेंकने में यहां की महिलाओं का योगदान अहम रहा है। इस बाद सैन्य शासन को भी नई सरकार बनाने के लिए बाध्य किया। सूडान में प्रदर्शनों का सिलसिला बीते साल दिसंबर में शुरू हुआ। राष्ट्रपति ओमर अल बशीर के खिलाफ लोग नारे लगा रहे थे। अप्रैल में उनके सत्ता से हटने के बाद अब सारा ध्यान सूडान में एक असैन्य सरकार के गठन पर है। इन प्रदर्शनकारियों में दो तिहाई महिलाएं थीं। सूडानी प्रोफेशनल एसोसिएशन की सारा अब्देलजलील के अनुसार महिलाओं की भागीदारी के बिना यह क्रांति संभव नहीं थी। इस दौरान कई महिलाओं को हिरासत में लिया गया, गिरफ्तार किया गया। इस कामयाबी में उनका योगदान काफी अधिक है। इस दौरान उन्हें काफी पीड़ा भी झेली है।
पूर्वी अफ्रीका में कई प्रदर्शन हुए। इस नजर रखने वालीं सोमाली राजनेता फादुमो दायिब का कहना है कि महिलाओं ने प्रदर्शन को एक खास चरित्र दिया है। दायिब का कहना है कि उन्होंने इसे चिंगारी दी। महिलाएं इस प्रदर्शन को सड़कों तक पहुंचाया। सूडान में बीते 30 साल के दौरान सूडानी महिलाओं के अधिकारों को दबाया गया। इसकी बड़ी वजह रही इस्लाम की कट्टरपंथी व्याख्या। इस दौरान महिलाओं में राजनीति और शिक्षा के क्षेत्र में बराबरी का हक मांगने और कुरीतियों के खिलाफ उठ खड़े होने की इच्छा ने जन्म लिया। अब्देलजलील कहती हैं कि सूडान में महिला प्रदर्शनों की एक परंपरा रही है। 1964 और 1985 में हुए प्रदर्शनों में भी महिलाएं पहली कतार में थीं। उस समय भी सत्ता में बैठे तानाशाहों को अपनी गद्दियां गंवानी पड़ी थीं।
प्रतिरोध और एकता से सफलता पाई 2011 में अरब में कई क्रांतियां आईं और तानाशाह को सत्ता से बेदखल किया गया। सूडान में जो कुछ हुआ वह अन्य देशों के लिए मिसाल बन गया है। सूडानी प्रोफेशनल एसोसिएशन के अनुसार यह प्रदर्शन साबित करता है कि अन्याय को बाहर करने के लिए अगर पुरुषों के साथ महिलाएं भी सड़कों पर उतर आएं तो बड़ी क्रांति लाई जा सकती है। सूडान के बहुत से प्रदर्शनकारियों को मालूम है कि अरब दुनिया में क्रांति के बाद कई देशों में हालात खराब हुए। यह सूडान में भी हो सकता है। ऐसे में वह चाहते हैं कि यहां पर एक असैन्य सरकार बने। अकसर देखा गया है कि तानाशाहों को सत्ता से हटाने के बाद यहां पर आराजक तत्वों को बढ़ावा मिलता है। दमन,गृह युद्ध और जिहाद आज मध्य पूर्व में बहुत से देशों की हकीकत बन गए हैं। सूडान
इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी गुट पैदा हुए गौरतलब है कि सीरिया, लीबिया, यमन और इराक में विपक्षी प्रदर्शनों और सरकारी दमन ने गृह युद्ध का रूप ले लिया और वहां तथाकथित इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादी गुट ने सत्ता को अपने हाथ में लेने की कोशिश की। ट्यूनीशिया में 2011 में अरब क्रांति शुरू हुई, वहां व्यवस्था में सुधार की शुरुआती उम्मीदों ने बाद में सारी उम्मीदें तोड़ दीं। सूडान में तीन दशक तक सत्ता में रहे ओमर अल बशीर के हटने के बाद प्रदर्शनकारी अपने देश में हो रहे घटनाक्रम को नजदीकी से देख रहे हैं। सेना ने राष्ट्रपति को पद छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया, लेकिन अब तक वहां कोई असैन्य सरकार नहीं बनी है। अब यह तय करना यहां की जनता के हाथ में वह किस चेहरे को सबसे अधिक पसंद करते हैं। महिलाएं प्रदर्शनकारी भी इसमें शामिल हैं। सरकार के गठन इनका होना जरूरी है। सरकार में इनका साथ सूडान को नई पहचान दे सकता है।
हमास के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने के लिए इजरायल तैयार, अधिकारियों को जारी किया आदेश
शुक्रवार को हुई हिंसा की शुरुआत
इजरायल और हमास के बीच हिंसा की शुरुआत शुक्रवार को हुई। इधर इस्लामिक जिहाद का कहना है कि उसने शुक्रवार को हुई हिंसा के जवाब में रॉकेट हमला किया है। इस्लामिक जिहाद ने इजरायल पर आरोप लगाया है कि बीते महीने हुए संघर्ष विराम समझौता का पालन नहीं किया, जो कि मिस्त्र की मध्यस्था में हुई थी। इसके बाद से शुक्रवार को इजरायल की ओर से किए गए नाकाबंदी को लेकर गाजा में विरोध के साथ ही फिर से संघर्ष शुरू हो गया। हालांकि इजरायल ने कहा कि यह नाके बंदी गाजा तक हथियारों की पहुंच को रोकने के लिए जरुरी है। विरोध प्रदर्शन के दौरान फिलिस्तीन के हथियारबंद शख्स ने इजरायल के दो सैनिकों को गोली मारकर हत्या कर दी। फिर इजरायल ने जवाबी कार्रवाई की। बता दें कि गाजा में 20 लाख फिलिस्तीनी नागरिक रहते हैं। इजरायल की ओर से नाकेबंदी करने से गाजा में आर्थिक संकट से लोगों को गुजरना पड़ रहा है। लिहाजा दोनों देशों के बीच हिंसक संघर्ष देखने को मिलता रहता है।