इस दौरान माल्ही ने कहा कि वर्ष 1947 से पहले इस्लामाबाद और उससे सटे हुए इलाकों में कई हिंदू मंदिर बने थे। इसमें सैदपुर गांव और रावल झील के पास स्थित मंदिर शामिल है। उन्होंने दुख जताया कि इस्लामाबाद में अल्पसंख्यकों के लिए अंतिम संस्कार की जगह भी नहीं है। आजादी के बाद से यहां पर कई मंदिरों को तोड़ दिए गए। इसके साथ कई मंदिरों को बंद कर दिया। यह पहली बार होगा कि पाक सरकार किसी मंदिर के निर्माण में मदद देगी।
10 करोड़ रुपये का खर्च करेगी सरकार
धार्मिक मामलों के मंत्री पीर नूरुल हक कादरी के अनुसार सरकार इस मंदिर के निर्माण पर आने वाला 10 करोड़ रुपये का खर्च खुद करेगी। उन्होंने कहा कि पीएम इमरान खान से मंदिर के लिए विशेष सहायता देने की अपील की गई है। इस्लामाबाद हिंदू पंचायत की ओर इस मंदिर का नाम श्रीकृष्ण मंदिर रखा है। इस मंदिर के लिए वर्ष 2017 में जमीन दी गई थी। हालांकि मंदिर के निर्माण कार्य कुछ कारणों की वजह से 3 साल से लटका है। इस मंदिर परिसर में एक अंतिम संस्कार स्थल भी होगा। गौरतलब है कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर काफी अत्याचार हो रहे हैं। आए दिन यहां पर हिंदू समुदाया की बेटियों का अपहरण कर उनका धर्मपरिवर्तन कराया जाता है।