इस दिन को मनाने का उद्देश्य नृत्य की शिक्षा और उसके आयोजनों में भागीदारी के लिए प्रहोत्सान बढ़ाना है। इस दिवस को दुनिया भर में एक उत्सव की तरह मनाया जाता है, लेकिन इस वर्ष भी कोरोना वायरस का साया इस वैश्विक उत्सवर पर दिखाई दे रहा है।
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यह कार्यक्रम हर साल 29 अप्रैल को होता है, जो आधुनिक बैले के निर्माता जीन-जॉर्जेस नोवरे (1727-1810) के जन्म की सालगिरह है। यह दिन दुनिया भर में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों और त्योहारों के माध्यम से नृत्य में भागीदारी और शिक्षा को प्रोत्साहित करने का प्रयास करता है।
यह कार्यक्रम हर साल 29 अप्रैल को होता है, जो आधुनिक बैले के निर्माता जीन-जॉर्जेस नोवरे (1727-1810) के जन्म की सालगिरह है। यह दिन दुनिया भर में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों और त्योहारों के माध्यम से नृत्य में भागीदारी और शिक्षा को प्रोत्साहित करने का प्रयास करता है।
वर्ष 1982 में अंतरराष्ट्रीय नाट्य संस्थान (ITI) ने अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस को मनाने का फैसला किया था। आईटीआई यूनेस्को के कला प्रदर्शन का सहयोगी थी। आईटीआई के गठन के साथ ही दुनियाभर के मशहूर डांसर और कोरियोग्राफर्स इसके साथ जुड़ते चले गए।
आपको बता दें कि नावेरे ने नृत्य पर एक किताब भी लिखी थी, जिसका नाम ‘लेटर्स ऑन द डांस’ है। इस पुस्तक में नृत्य कला के सभी गुर सिखाए गए हैं। इस किताब को पढ़कर लोग नृत्य कर सकते हैं।
आपको बता दें कि नावेरे ने नृत्य पर एक किताब भी लिखी थी, जिसका नाम ‘लेटर्स ऑन द डांस’ है। इस पुस्तक में नृत्य कला के सभी गुर सिखाए गए हैं। इस किताब को पढ़कर लोग नृत्य कर सकते हैं।
इस बार की थीम
हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय डांस दिवस पर एक थीम तैयार की जाती है। इस बार भी इंटरनेशनल डांस डे की थीम है ‘पर्पज ऑफ डांस’ यानी नृत्य का उद्देश्य। दरअसल नृत्य ना सिर्फ एक कला है बल्कि ये आपको तनाव मुक्त रखने में मददगार साबित होता है। पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। ऐसे में काम से लेकर सेहत तक हर स्तर पर तनाव हावी हो रहा है। यही वजह है कि इस बार की थीम पर्पज ऑफ डांस रखी गई है, ताकि लोग डांस के जरिए अपने तनाव को हराने का उद्देश्य प्राप्त कर सकें।
हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय डांस दिवस पर एक थीम तैयार की जाती है। इस बार भी इंटरनेशनल डांस डे की थीम है ‘पर्पज ऑफ डांस’ यानी नृत्य का उद्देश्य। दरअसल नृत्य ना सिर्फ एक कला है बल्कि ये आपको तनाव मुक्त रखने में मददगार साबित होता है। पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। ऐसे में काम से लेकर सेहत तक हर स्तर पर तनाव हावी हो रहा है। यही वजह है कि इस बार की थीम पर्पज ऑफ डांस रखी गई है, ताकि लोग डांस के जरिए अपने तनाव को हराने का उद्देश्य प्राप्त कर सकें।
इसके साथ ही इस दिवस की शुरुआत भी इसी उद्देश्य के साथ की गई थी कि दुनियाभर के लोगों को एक प्लेटफॉर्म पर एक भाषा में जोड़ा जा सके और ये भाषा है डांस।
यहां शेयर करें अपने डांस संदेश और वीडियो
कोरोनावायरस महामारी के चलते अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस ऑनलाइन मनाया जाएगा। संगठन ने लोगों से अपने वीडियो, संदेश www.iti-worldwide.org पर साझा करने के लिए कहा है। यह भी पढ़ेंः इजराइल की तरह अमरीका ने भी मास्क उतारने की दी इजाजत, भीड़ से बचने को कहा दुनियाभर में संदेश भेजा जाता है
हर साल आईटीआई की इंटरनेशनल डांस कमेटी और आईटीआई की एक्जीक्यूटिव काउंसिल श्रेष्ठ कोरियोग्राफर या नृतक को चुनते हैं और दुनिया भर में संदेश भेजते हैं। खास बात यह है कि संदेश के लेखक का चयन यही समिति और काउंसिल ही करती है। इस संदेश का सभी देशों की भाषाओं में अनुवाद कर इसे प्रसारित किया जाता है।
महत्व की बात करें तो इस दिन दुनियाभर में नृत्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। हालांकि कोरोना वायरस महामारी के चलते इस वैश्विक उत्सव पर भी खासा असर पड़ा है। कई देशों में कोरोना प्रोटोकॉल के तहत इस उत्सव को सार्वजनिक रूप से नहीं मनाया जा रहा है। भारत में भी इस वर्ष कोरोना की दूसरी लहर का कहर बढ़ रहा है। ऐसे में यहां भी इस उत्सव पर कार्यक्रम नहीं किए जा रहे हैं।
कोरोनावायरस महामारी के चलते अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस ऑनलाइन मनाया जाएगा। संगठन ने लोगों से अपने वीडियो, संदेश www.iti-worldwide.org पर साझा करने के लिए कहा है। यह भी पढ़ेंः इजराइल की तरह अमरीका ने भी मास्क उतारने की दी इजाजत, भीड़ से बचने को कहा दुनियाभर में संदेश भेजा जाता है
हर साल आईटीआई की इंटरनेशनल डांस कमेटी और आईटीआई की एक्जीक्यूटिव काउंसिल श्रेष्ठ कोरियोग्राफर या नृतक को चुनते हैं और दुनिया भर में संदेश भेजते हैं। खास बात यह है कि संदेश के लेखक का चयन यही समिति और काउंसिल ही करती है। इस संदेश का सभी देशों की भाषाओं में अनुवाद कर इसे प्रसारित किया जाता है।
महत्व की बात करें तो इस दिन दुनियाभर में नृत्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। हालांकि कोरोना वायरस महामारी के चलते इस वैश्विक उत्सव पर भी खासा असर पड़ा है। कई देशों में कोरोना प्रोटोकॉल के तहत इस उत्सव को सार्वजनिक रूप से नहीं मनाया जा रहा है। भारत में भी इस वर्ष कोरोना की दूसरी लहर का कहर बढ़ रहा है। ऐसे में यहां भी इस उत्सव पर कार्यक्रम नहीं किए जा रहे हैं।