चीन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से कोरोना वायरस की जानकारी छिपाने के लिए कहा था। जर्मनी की एक खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग स्वयं विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रोस अधोनाम से कोरोना का संक्रमण एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलने की जानकारी को रोकने और महामारी के बारे में दुनिया में अलर्ट जारी करने में देरी करने के लिए कहा था। गौरतलब हो कि अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप इससे पहले डब्ल्यूएचओ की कार्यशैली पर सवाल उठा चुके हैं।
दावा-21 जनवरी को हुई थी बात
जर्मनी की एक पब्लिकेशन डेर स्पीगेल ने देश की खुफिया एजेंसियों के इनपुट के आधार पर ये रिपोर्ट प्रकाशित की है। वहां की खुफिया एजेंसी बीएनडी के मुताबिक 21 जनवरी को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने डब्ल्यूएचओ महानिदेशक टेड्रोस अधोनाम से यह जानकारी देने से रोका था। इससे पूरी दुनिया में कोरोना से लडऩे में 4 से 6 सप्ताह की देरी हुई।
झूठी व मनगढंत है रिपोर्ट : डब्ल्यूएचओ
इस रिपोर्ट के प्रकाशित होते ही डब्ल्यूएचओ ने बयान जारी कर कहा कि चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग व टेड्रोस के बीच 21 जनवरी को फोन पर या किसी माध्यम से कोई बात ही नहीं हुई है। यह रिपोर्ट मनगंढ़त है। पूरी तरह से झूठी है। यह हमारी कोशिशों को भटकाने के लिए किया जा रहा है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि चीन ने इसके मानव संक्रमण की जानकारी 20 जनवरी को ही दे दी थी। डब्ल्यूएचओ ने 22 जनवरी को वुहान के मामलों की पड़ताल करने के बाद कोरोना मानव संक्रमण की जानकारी मिली थी।
डब्ल्यूएचओ ने जानबूझकर देर की : ट्रंप
अमरीकी राष्ट्रपति ने हाल ही आरोप लगाते हुए कहा था कि डब्ल्यूएचओ सबसे ज्यादा फंडिंग अमरीका से लेता है लेकिन काम चीन के लिए करता है। कोरोना वायरस को समझने में उसने जानबूझकर देर कर दी। डब्ल्यूएचओ की नीतियां चीन केंद्रित हैं। यह संगठन सिर्फ चीन के प्रोपेगैंडा फैलाने का औजार बन चुका है।
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