भारत ने 180 पैदल सेना, 40 एयरफोर्स ( IAF ) कर्मियों और दो नौसेना अधिकारियों को पर्यवेक्षक के रूप में एक टुकड़ी भेजने की योजना बनाई थी। भारत और चीन में लद्दाख में सीमा संकट का हल निकालने के लिए जून से सैन्य और कूटनीतिक वार्ता का दौर जारी है। मगर अभी भी चीन आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं। उसकी सेनाएं एलएसी के पास डटी हुईं हैं।
रक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में एक बयान जारी कर कहा कि रूस और भारत बेहतर रणनीतिक साझेदार हैं। रूस के निमंत्रण पर, भारत कई अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग ले रहा है। मगर कोविड-19 और अभ्यास होने वाली कठिनाइयों के कारण, भारत ने इस वर्ष के लिए कवकाज-2020 Kavkaz-2020 में शामिल न होने का फैसला लिया है।’
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में हुई शीर्ष अधिकारियों की बैठक में देश में कोविड-19 महामारी की स्थिति पर विचार किया गया। साउथ ब्लॉक में हुई बैठक के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर, चीफ ऑफ डिफेन्स स्टाफ जनरल बिपिन रावत समेत कई शीर्ष अधिकारी शामिल हुए। बैठक में तय हुआ कि चीन और पाकिस्तान से तनाव के कारण इस सैन्य अभ्यास में भारत हिस्सा नहीं लेगा।