जी हाँ, हाफिज सईद मौलवी होने के साथ इंजीनियरिंग का टीचर भी रहा है। सईद अरबी और इंजीनियरिंग का पूर्व प्राध्यापक रहा है। बताते हैं कि हाफिज सईद एक पढ़े-लिखे परिवार से ताल्लुक रखता है। फिर ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से हाफिज सईद आतंकी बन गया।
बताया जाता है कि हाफिज सईद कट्टरपंथियों के संपर्क में आया और उसने जमात-उद-दवा आतंकी संगठन की स्थापना की। यह एक कथित चरमपंथी इस्लामी संगठन है, जिसका मकसद भारत और उसे आसापास के क्षेत्रों में इस्लामी शासन स्थापित करना है। हाफिज ने यह संगठन तब बनाया था जब पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए।
लश्कर और जमात का खेल
11 सितंबर 2001 में अमरीका पर हुए हमलों के बाद लश्कर-ए-तैयबा कड़े प्रतिबंध लगाए गए। इसके बाद हाफिज सईद ने लश्कर-ए-तैयबा का नया नाम जमात-उद-दावा रखा। हालांकि यह आतंकी इस बात से इनकार करता रहा है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने मुंबई आतंकी हमलों के बाद दिसंबर 2008 में जमात-उत-दावा को आतंकी संगठन घोषित किया था।
भारत में खेला आतंक का खेल
मुंबई हमलों के बाद सईद पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बना इसके बाद पाकिस्तान ने उसे छह माह के लिए नजरबंद रखा था। लाहौर हाईकोर्ट के आदेश के बाद उसे 2009 में रिहा कर दिया गया था। इसके अलावा हाफिज सईद जुलाई 2006 में मुंबई लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार धमाकों का भी आरोपी है।
भारत के आग्रह पर उसके खिलाफ इंटरपोल ने 25 अगस्त 2009 को रेड कार्नर नोटिस जारी किया था। रेड कॉर्नर नोटिस के बावजूद वह अकसर पाकिस्तान में खुलेआम घूमता दिखाई देता रहा है। सार्वजनिक कार्यक्रमों में अकसर भारत के खिलाफ जहर उगलता है। भारत की खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां कई वर्षों से इस खूंखार आतंकी की तलाश में लगीं हैं। दुनिया में ‘आंतकवाद के लिए जिम्मेदार’ लोगों की सूची में हाफिज सईद का भी नाम सबसे आगे है।