दरअसल पश्चिम अफ्रीकी देश गिनी में घातक मारबर्ग वायरस का पहला मामला सामने आया है। इसके बाद से यहां के लोगों में दहशत का माहौल है। खास बात यह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ( World Health Organisation ) ने भी इसकी पुष्टि की है।
पश्चिम अफ्रीकी देश गिनी में घातक मारबर्ग वायरस को इबोला और कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक माना जा रहा है। यह जानवरों के मेजबान से इंसानों में भी फैल सकता है। यह भी पढ़ेंः Coronavirus से जंग के बीच वैज्ञानिकों ने निकाला सुपर वैक्सीन का फॉर्मूला, हर वेरिएंट से होगा बचाव नए वायरस से एक की मौत
कोरोना के मारबर्ग वायरस को लेकर चिंता इसलिए बढ़ गई है क्योंकि इस वायरस के एक शख्स की मौत हो चुकी है। ये मामले 2 अगस्त 2021 का ही है। गिनी के दक्षिणी गुएकेडौ प्रांत में मारबर्ग वारयरस से संक्रमित व्यक्ति को अपनी जान गंवानी पड़ी।
कोरोना के मारबर्ग वायरस को लेकर चिंता इसलिए बढ़ गई है क्योंकि इस वायरस के एक शख्स की मौत हो चुकी है। ये मामले 2 अगस्त 2021 का ही है। गिनी के दक्षिणी गुएकेडौ प्रांत में मारबर्ग वारयरस से संक्रमित व्यक्ति को अपनी जान गंवानी पड़ी।
ये वायरस भी चमगादड़ से फैलता है
WHO के मुताबिक यह वायरस के बनने की वजह संभवतः चमगादड़ है। उसी के जरिए ये वायरल फैलता है। इसकी मृत्यु दर 88 फीसदी तक होती है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेश के मुताबिक मारबर्ग वायरस आमतौर पर रौसेटस चमगादड़ की गुफाओं से जुड़ा होता है। इसका संक्रमण संक्रमित लोगों के शारीरिक तरल पदार्थ, या दूषित सतहों और सामग्रियों के संपर्क में आने से फैलता है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि हम गिनी के स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा सतर्कता और त्वरित जांच कार्रवाई की सराहना करते हैं।
WHO के मुताबिक यह वायरस के बनने की वजह संभवतः चमगादड़ है। उसी के जरिए ये वायरल फैलता है। इसकी मृत्यु दर 88 फीसदी तक होती है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेश के मुताबिक मारबर्ग वायरस आमतौर पर रौसेटस चमगादड़ की गुफाओं से जुड़ा होता है। इसका संक्रमण संक्रमित लोगों के शारीरिक तरल पदार्थ, या दूषित सतहों और सामग्रियों के संपर्क में आने से फैलता है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि हम गिनी के स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा सतर्कता और त्वरित जांच कार्रवाई की सराहना करते हैं।
अफ्रीका के डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय निदेशक डॉ मात्शिदिसो मोएती के मुताबिक, मारबर्ग वायरस के दूर-दूर तक फैलने की संभावना का मतलब है कि हमें इसे जल्द से जल्द रोकने की जरूरत है। यह भी पढ़ेंः China: कोरोना के बाद चीन में सामने आया घातक ‘एंथ्रेक्स निमोनिया’ का मामला, जानिए क्या है लक्षण मारबर्ग वायरस का मामला ऐसे वक्त पर सामने आया है जब डब्ल्यूएचओ ने गिनी के इबोला के दूसरे प्रकोप को समाप्त करने की घोषणा किए दो महीने पूरे हुए हैं।
बता दें कि अफ्रीका में इबोला वायरस पिछले वर्ष शुरू हुआ था और इसमें 12 लोगों की जान चली गई थी। जिनेवा में, डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर खतरे को उच्च मानता है। हालांकि वैश्विक स्तर पर अभी उतना खतरनाक नहीं है।