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Explainer: इजरायल की टीकाकरण रणनीति से भारत को क्या सीखना चाहिए?

इजरायल ने बीते 19 दिसंबर से शुरू किया था देशव्यापी कोरोना टीकाकरण।
4.28 लाख लोगों के दो चरणों के टीकाकरण के बाद 63 हुए संक्रमित।
भारत को कोरोना वायरस के खिलाफ जारी टीकाकरण में इससे सीखने की जरूरत।

Explainer: What to learn from Israel’s COVID-19 Vaccination Strategey

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के मामलों में तेजी आने और ताजा लॉकडाउन लागू किए जाने के बाद अपनी आबादी का कोविड-19 टीकाकरण करने की इजरायल की रणनीति संभावित रूप से आशाजनक परिणाम दिखाने लगी है। विभिन्न एजेंसियों द्वारा जारी प्रारंभिक आंकड़े इस बात की एक झलक प्रदान करते हैं कि यह संक्रामक वायरस के प्रति संवेदनशील लोगों को टीके तक पहुंच को प्रभावी ढंग से संरक्षित करने में कितना प्रभावी है।
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इजरायल की टीकाकरण की रणनीति

इजरायल ने 19 दिसंबर को एक अघोषित राशि में लाखों वैक्सीन की खरीद के बाद अपनी आबादी का टीकाकरण शुरू किया और कथित तौर पर इसने फाइजर और बायोएनटेक से एक ऊंची कीमत पर इसे खरीदा। उस समय सरकार ने घोषणा की थी कि “निकट भविष्य में” देश में “लाखों” वैक्सीन आने वाली हैं।
टेवा फार्मास्यूटिकल्स की सहायक एसएलए के साथ देश का स्वास्थ्य मंत्रालय इन टीकों को उनके लिए जरूरी डीप-फ्रीज तापमान में संग्रहीत करने के प्रभारी थे। ये टीके स्वास्थ्य रखरखाव संगठनों (एचएमओ) और साथ ही टीकाकरण साइटों को “लगाए जाने की दर के अनुसार” प्रदान किए गए थे।
टीकाकरण के लिए इज़राइल की प्राथमिकता शुरू में 60 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के और स्वास्थ्यसेवा कार्यकर्ता थे, लेकिन देश ने समय के साथ इस कवरेज का विस्तार करते हुए उन 40 वर्ष से ज्यादा वाले और 16-18 वर्ष (12वीं कक्षा के विद्यार्थियों सहित) से अधिक उम्र के छात्रों को भी शामिल कर लिया है।
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सरकार के अनुसार, गर्भवती महिलाओं और संभावित गर्भवती महिलाओं को भी वैक्सीन मिल सकती है। देश में 16 साल से कम उम्र के बच्चों, ठीक हो चुके और वर्तमान मरीजों और गंभीर एलर्जी रिएक्शंस के इतिहास वाले लोगों को छोड़कर, पहले चरण में इसकी अधिकांश आबादी का टीकाकरण करना है।
स्वास्थ्य मंत्री यूली एडेलस्टीन के अनुसार 25 जनवरी तक इज़राइल ने अपनी आबादी के लिए Pfizer-BioNTech वैक्सीन की 39.6 लाख से अधिक खुराक का प्रबंध किया है। इसमें दूसरी खुराक में 12.6 लाख वैक्सीन शामिल हैं, जो आबादी को पहले शॉट के लगभग 21 दिन बाद लेने की जरूरत है।
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आंकड़ों से क्या पता चलता है?

रिपोर्टों के अनुसार, देश के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि केवल 4.28 इजरायलियों में से केवल 63 अपनी दूसरी खुराक लेने के एक सप्ताह बाद कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं। इससे पहले मैकाबी हेल्थकेयर सर्विसेज (देश के सक्रिय एचएमओ में से एक) द्वारा किए गए विश्लेषण में 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों में संक्रमण में “महत्वपूर्ण” कमी देखी गई।
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कोविड-19 टीकाकरण की अपनी नवीनतम रीयल टाइम मॉनिटरिंग रिपोर्ट के अनुसार, एचएमओ ने अस्पताल में भर्ती नए मरीजों की संख्या में “60 फीसदी से अधिक” की कमी देखी है।
मैकाबी ने कथित तौर पर 1,28,600 लोगों द्वारा अपनी दूसरी खुराक प्राप्त करने के एक सप्ताह से अधिक समय बाद फॉलोअप डेटा जारी किया, जिसमें पता चला कि केवल 20 ही वायरस से संक्रमित हुए थे।
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क्या हैं चुनौतियां?

यह डेटा प्रारंभिक है। इसके अलावा डेटा का विश्लेषण करते समय किन कारकों पर विचार किया गया था, इस पर बहुत कम स्पष्टता है।

संभावित चिंता का एक और मामला यूके और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों से नए कोविड-19 स्ट्रेन के साथ दुनिया भर में मामलों की बढ़ती संख्या है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, Pfizer-BioNTech और मॉडर्ना ने बताया है कि उनके टीके अभी भी इन नए स्ट्रेन के खिलाफ प्रभावी हैं, लेकिन दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन के खिलाफ कम सुरक्षा प्रदान करते हैं।
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भारत का टीकाकरण कार्यक्रम कैसे आगे बढ़ रहा है?

भारत ने 16 जनवरी को स्वास्थ्य कर्मियों का प्राथमिकता से टीकाकरण शुरू किया। अब तक देश भर में 20 लाख से अधिक स्वास्थ्य कर्मचारियों को भारत बायोटेक के कोवैक्सिन और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के कोविशिल्ड नामक दो टीकों में से एक प्राप्त हुआ है। वैक्सीन के आधार पर स्वास्थ्यकर्मी पहली खुराक के बाद 4-6 सप्ताह की अवधि में अपनी दूसरी खुराक प्राप्त करेंगे।
सरकार ने टीकाकरण के लिए चुनी गई अपनी आबादी के लिए टीकों की लगभग 1.65 करोड़ खुराक की खरीद की है, और समय के साथ अधिक खरीद की जाएगी। नए स्ट्रेन के मामले में देश वायरस के यूके वेरिएंट के साथ मामलों की बढ़ती संख्या की रिपोर्ट कर रहा है।

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