फ्रांस में बीते सप्ताह यूरोपीय संसद पूर्ण सत्र के दौरान 16 यूरोपीय संघ के सदस्यों द्वारा पत्र पर हस्ताक्षर किए गए थे। नेताओं ने बलूच लोगों की विकट स्थिति को सामने रखते हुए कहा कि दशकों से, बलूचिस्तान के लोगों ने अपने संसाधनों और जीवन की सुरक्षा के लिए संघर्ष किया है और अपनी राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए कड़ा संघर्ष किया है।
अमरीका पहुंचे पाक पीएम इमरान खान, पाक आर्मी चीफ और ISI निदेशक भी साथ संसाधनों को जब्त करने में लगी पाक सेना पत्र में यह भी लिखा गया है कि बीते चार दशक से बलूच अपने संसाधनों को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पाकिस्तानी सेना लगातार इन पर अत्याचार कर रही हैं। वह बलूचिस्तान के संसाधनों को जब्त करने के लिए अपनी सारी हदे पार कर चुकी है। इस क्षेत्र में तेल,गैस और दुर्लभ वस्तुओं के अकूत भंडार हैं।
अमरीका यात्रा पर इमरान खान: रक्षा संबंधों पर आगे बढ़ेगी बात, आतंकवाद और टेरर फंडिंग पर होगा खास फोकस यह पत्र इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में अमरीका ने बलूच लिबरेशन आर्मी यानी बीएलए पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया। अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह फैसला अफगानिस्तान में तालिबान से शांति वार्ता में पाकिस्तान की भागीदारी को सुनिश्चित कराने के लिए लिया है। यूरोपीय नेताओं ने यह भी आग्रह किया कि बलूच क्षेत्र के लोगों को आतंकवादी के रूप में नामित नहीं किया जाना चाहिए। वे आतंकवादी नहीं हैं, और उन्हें तमंगा देना केवल इस स्थिति की पीड़ा को और बढ़ाना है।
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