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जापान और अमरीका के बीच व्यापार
अमरीका और जापान के बीच हाल के समय में व्यापार में काफी गिरावट देखने को मिला है। दोनों देशों के बीच आर्थिक लेन-देन में भी कमी देखने को मिला है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( President Donald Trump ) लगातार सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जापान पर ऑटो और ऑटो पार्ट्स के आयात पर टैरिफ लगाने की धमकी देता रहा है। ट्रंप ने यह कहा है कि यदि अमरीका को यूरोपीय संघ और जापान से कोई रियायत नहीं मिलता है तो अमरीका टैरिफ लगाएगा। अप्रैल में जापान का व्यापार 18 फीसदी सरपल्स 723 येन यानी 6.6 बिलियन डॉलर हो गया है। चीन के साथ भी अमरीका का ट्रेड वार ( Trade War ) शुरू हो गया है और इसी बीच शनिवार को ट्रंप चार दिवसीय जापान दौरे पर टोक्यो पहुंचे हैं। बहरहाल, अब देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप अपने गोल्फ दोस्त शिंजो एबे के साथ किस तरह से व्यापारिक रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए समझौते करते हैं।
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उत्तर कोरिया को लेकर तनाव
दरअसल अमरीका और उत्तर कोरिया के बीच तनाव बढ़ा है। अमरीका ने उत्तर कोरिया पर कई तरह की पाबंदी लगाए हैं। जिसे हटवाने को लेकर उत्तर कोरिया के शीर्ष नेता किम जोंग उन ( Kim jong un ) ट्रंप से दो बार मुलाकात कर चुके हैं। लेकिन कोई बात नहीं बनी है। अमरीकी प्रतिबंधों से राहत के लिए किम जोंग ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ( Russian President Vladimir Putin ) से भी मुलाकात कर चुके हैं। अब यह माना जा रहा है कि बहुत जल्द ही किम जोंग जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबे से मुलाकात करने वाले हैं। दरअसल किम जोंग एक रणनीति के तहत उन तमाम देशों के साथ मिलकर बातचीत आगे बढ़ा रहे हैं जो या तो अमरीका के बेहद करीबी हैं या फिर अमरीका के साथ तनाव है। ऐसे में उत्तर कोरिया दोनों देशों के बीच एक तनाव का कारण बन सकता है।
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ईरान के साथ बढ़ता तनाव
आमरीका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव का असर पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है। गल्फ देशों में भी इसका नकारात्मक असर देखने को मिल रहा है। ईरान पर अमरीकी प्रतिबंधों को असर भारत पर भी पड़ा है। भारत अब ईरान से तेल नहीं खरीदेगा, जिसके कारण भारत में तेल के दाम बढ़ सकते हैं। सऊदी अरब और इजराइल ने भी ईरान के मामले में अमरीका का साथ दिया है, जबकि चीन ईरान के साथ दिखाई पड़ रहा है। ईरान यूरेनियम और भारी जल के उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दे रहा है। दूसरी तरफ उत्तर कोरिया भी अमरीकी प्रतिबंध नहीं हटने के संकेतों के बीच फिर से परमाणु परीक्षण कार्यक्रम कर दुनिया के सामने एक नई चुनौती पेश कर रहा है। ऐसे में पूरी दुनिया में राजनीतिक अस्थिरता के साथ आर्थिक विघटन का खतरा मंडरा रहा है। बहरहाल यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप और एबे की यह मुलाकात वैश्विक राजनीति पर कितना प्रभाव पैदा करता है।
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