दरअसल, कोरोना वायरस की वजह से भारत में दवाओं ( medicines ) की गंभीर संकट पैदा होने की संभावना है। एय रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के पास केवल अप्रैल तक की ही दवा का स्टॉक बचा है। ऐसे में माना जा रहा है कि भारत में दवाओं के दाम में इजाफा हो सकता है।
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हालांकि भारत सरकार ने एहतियातन एक उच्च स्तरीय कमेटी का भी गठन किया है। इसमें तकनीकी विभागों के विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। इस कमिटी ने मोदी सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें ये कहा गया है कि अगले एक महीने में यदि चीन से दवाओं का सप्लाई नहीं हो पाता है तो देश में भारी संकट उत्पन्न हो सकता है, क्योंकि केवल अप्रैल तक का ही स्टॉक बचा है।
भारत में भी 80 फीसदी API चीन से खरीदता है
आपको बता दें कि चीन के वुहान में दवाओं से जुड़े सबसे अधिक कंपनियां स्थित है और यही शहर कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित है। वुहान स्थित कंपनियों से दुनियाभर में कच्चे माल के तौर पर दवाएं भेजी जाती है।
भारत में भी 80 फीसदी एपीआई (दवाओं का कच्चा माल) चीन से आता है। API ही नहीं ऑपरेशन थियेटर के 90 फीसदी पार्ट्स भी चीन से आते हैं। भारत चीन से करीब 57 तरह के मॉलिक्यूल्स आयात करता है।
लेकिन अब कोरोना वायरस के फैलने से कंपनियों में उत्पादन ठप है। बताया जा रहा है कि जब तक कोरोना वायरस का प्रभाव कम नहीं होता है, तब तक कंपनियों को नहीं खोला जाएगा।
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कंपनियों के खुलने के बाद भी भारत तक दवाई पहुंचने में 20 दिन का वक्त लगेगा, क्योंकि समुद्री रास्ते से भारत में दवा पहुंचती है। चीन में इसी तरह के हालात बने रहे तो भारत में एंटीबॉयोटिक्स, एंटी डायबिटिक, स्टेरॉयड, हॉर्मोन्स और विटामिन की दवाओं की कमी हो सकती है।
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