हर आयु वर्ग को वैक्सीन के दायरे में लाने के लिए लगातार परीक्षण भी चल रहे हैं। यही नहीं दुनियाभर में वैक्सीन को और आसान और कारगर बनाने पर भी काम चल रहा है। फिलहाल दुनियाभर में वैक्सीन लगाने का एक मात्र जरिया इंजेक्शन है, लेकिन सुई से डरने वालों के लिए अब विकल्पों पर तेजी से काम हो रहा है। इसमें इनहेलर ( Inhaler ) से लेकर टैबलेट ( Pill ) यानी की गोली लाने की तैयारी की जा रही है।
यह भी पढ़ेंः देश में फिर पैर पसार रहा कोरोना! एक हफ्ते में दोगुनी हुई पॉजिटिविटी रेट कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए लोगों को इंजेक्शन के जरिए वैक्सीन दी जा रही है. लेकिन भविष्य में टैबलेट और इनहेलर के रूप में भी लोगों को वैक्सीन दी जा सकती है।
तैयार हो रहा इनहेलर
मेडिकॉन विलेज की एक प्रयोगशाला में, जो कि दक्षिणी स्वीडन के सबसे बड़े विज्ञान पार्कों में से एक है, केमिस्ट इंजेमो एंड्रेसन ने माचिस के आकार का एक पतला, प्लास्टिक इनहेलर का आविष्कार किया, जो लोगों को COVID-19 वायरस से बचाव करेगा।
मेडिकॉन विलेज की एक प्रयोगशाला में, जो कि दक्षिणी स्वीडन के सबसे बड़े विज्ञान पार्कों में से एक है, केमिस्ट इंजेमो एंड्रेसन ने माचिस के आकार का एक पतला, प्लास्टिक इनहेलर का आविष्कार किया, जो लोगों को COVID-19 वायरस से बचाव करेगा।
रिसर्च टीम के मुताबिक यह इनहेलर भविष्य में लोगों को घर पर वैक्सीन का पाउडर संस्करण में उपलब्ध होगा। जो वैश्विक महामारी से लड़ने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। इनहेलर बहुत सस्ता और उत्पादन में आसान बनाया जा रहा है।
इस तरह लिया जा सकेगा इनहेलर
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीन के रूप में इस इनहेलर को लिया जा सकेगा। इस्तेमाल में आसान बनाया गया है, बस एक छोटी सी प्लास्टिक पर्ची को हटाकर इसे इस्तेमाल किया जा सकेगा। गहरी सांस लेकर इसे लिया जा सकेगा। इसका असर नाक से लेकर फेफड़ों तक होगा।
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए वैक्सीन के रूप में इस इनहेलर को लिया जा सकेगा। इस्तेमाल में आसान बनाया गया है, बस एक छोटी सी प्लास्टिक पर्ची को हटाकर इसे इस्तेमाल किया जा सकेगा। गहरी सांस लेकर इसे लिया जा सकेगा। इसका असर नाक से लेकर फेफड़ों तक होगा।
फर्म के सीईओ जोहन वोबोर्ग ने बताया कि ये बहुत सस्ती और आसानी से प्रोड्यूस होने वाली तकनीक है, जिसका इस्तेमाल आमतौर पर अस्थमा के मरीज करते हैं। बता दें कि Iconovo नाम की कंपनी स्टॉकहोम, ISR पर एक इम्यूनोलॉजी रिसर्च स्टार्ट-अप के साथ सहयोग कर रही है, जिसने COVID-19 के खिलाफ ड्राई पाउडर वैक्सीन विकसित किया है।
40C तक के तापमान में रख सकते हैं स्टोर
पाउडर निर्मित COVID-19 वायरस प्रोटीन का उपयोग करता है और 40C तक तापमान का सामना कर सकता है। खास बात यह है कि वैक्सीन शॉट्स के विपरीत, इन्हें कांच की शीशियों में ठंडे तापमान पर संग्रहीत करने की आवश्यकता नहीं होती है।
पाउडर निर्मित COVID-19 वायरस प्रोटीन का उपयोग करता है और 40C तक तापमान का सामना कर सकता है। खास बात यह है कि वैक्सीन शॉट्स के विपरीत, इन्हें कांच की शीशियों में ठंडे तापमान पर संग्रहीत करने की आवश्यकता नहीं होती है।
यह भी पढ़ेंः वैक्सीन की एक शीशी से लगाई जा रहीं 2 अतिरिक्त डोज, जानिए सबसे आगे कौनसा राज्य कोरोना के इन वेरिएंट पर हो रहा काम
कंपनी अभी अपने वैक्सीन का परीक्षण COVID-19 के बीटा (दक्षिण अफ्रीकी) और अल्फा (यूके) वेरिएंट पर कर रही है। यह अफ्रीका में वैक्सीन रोलआउट की प्रक्रिया को तेज कर सकता है, जहां कोई घरेलू टीके नहीं हैं और गर्म तापमान ने इसे और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
कंपनी अभी अपने वैक्सीन का परीक्षण COVID-19 के बीटा (दक्षिण अफ्रीकी) और अल्फा (यूके) वेरिएंट पर कर रही है। यह अफ्रीका में वैक्सीन रोलआउट की प्रक्रिया को तेज कर सकता है, जहां कोई घरेलू टीके नहीं हैं और गर्म तापमान ने इसे और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
सूखे टीके को अभी भी इसकी पूरी क्षमता जानने के लिए और यह जानने के लिए विभिन्न परीक्षणों से गुजरने की जरूरत है कि क्या यह डब्ल्यूएचओ द्वारा उपलब्ध कराए गए टीकों की सूची के समान प्रभावी है।
मानव पर अगले दो महीने में शुरू होगा परीक्षण
अभी तक इसका परीक्षण केवल चूहों पर किया गया है, हालांकि मनुष्यों पर अध्ययन दो महीने के भीतर शुरू होने की उम्मीद है। सफल होने पर, पाउडर वाले टीके कोरोनावायरस महामारी के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया में क्रांति ला सकते हैं। अधिक लोगों को बचाया जा सकता है और वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षित किया जा सकता है।
मानव पर अगले दो महीने में शुरू होगा परीक्षण
अभी तक इसका परीक्षण केवल चूहों पर किया गया है, हालांकि मनुष्यों पर अध्ययन दो महीने के भीतर शुरू होने की उम्मीद है। सफल होने पर, पाउडर वाले टीके कोरोनावायरस महामारी के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया में क्रांति ला सकते हैं। अधिक लोगों को बचाया जा सकता है और वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षित किया जा सकता है।
टैबलेट के जरिए वैक्सीन देने की भी तैयारी
इकोनोवो से करीब 10 मिनट की दूरी पर एक और नए आविष्कार की तैयारी है। कैरोलिंस्का में ग्लोबल ट्रांसफॉर्मेशन फॉर हेल्थ के प्रोफेसर और 2016-2020 तक यूनिसेफ के ग्लोबल हेल्थ चीफ रह चुके स्वार्टिलिंग पीटरसन ने ‘प्रॉमिसिंग टेक्नोलॉजी’ के साथ इसे लेकर एक नया करार किया है।
इकोनोवो से करीब 10 मिनट की दूरी पर एक और नए आविष्कार की तैयारी है। कैरोलिंस्का में ग्लोबल ट्रांसफॉर्मेशन फॉर हेल्थ के प्रोफेसर और 2016-2020 तक यूनिसेफ के ग्लोबल हेल्थ चीफ रह चुके स्वार्टिलिंग पीटरसन ने ‘प्रॉमिसिंग टेक्नोलॉजी’ के साथ इसे लेकर एक नया करार किया है।
स्वीडन की फार्मास्यूटिकल कंपनी Ziccum एक ऐसा फ्यूचर लिक्विड वैक्सीन तैयार कर रहा है जिसकी प्रभावशीलता की कोई लिमिट नहीं है। Ziccum के सीईओ गोरन कोनराड्सन के मुताबिक इस वैक्सीन पाउडर को पहले पानी में मिलाया जाएगा और फिर इंजेक्शन के जरिए लोगों को दिया जाएगा।
ये वैक्सीन नसल स्प्रे यानी नाक से या फिर टैबलेट यानी गोली के जरिए भी लिया जा सकेगा। हालांकि इस टेक्नोलॉजी पर अभी काफी काम होना बाकी है।