इन सबके बीच चीन अपने विस्तारवादी नीति ( China’s Expansionary policy ) को आगे बढ़ाने के लिए मास्टर प्लान तैयार कर रहा है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जहां एक ओर पूरी दुनिया कोरोना संक्रमण से जूझ रही है और इससे निजात पाने के लिए कोशिशें कर रही है, वहीं चीन अपनी सैन्य क्षमता ( China military capability ) को बढ़ाने और पड़ोसी देशों के साथ सीमा विवाद पर उलझा हुआ है। भारत, ताइवान, हांगकांग, वियतनाम समेत कई देशों के साथ मौजूदा समय में तनाव भी जारी है।
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इसी कड़ी में दक्षिण चीन सागर ( South China Sea ) में चीनी नौसेना के युद्धाभ्यास की तस्वीरें भी सामने आई हैं। चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने 1 जुलाई से चल रहे युद्धाभ्यास की तस्वीरों के साथ लिखा है कि चीन के दक्षिणी, उत्तरी और पूर्वी थिएटर कमांड्स ( Eastern Theater Commands ) ने दक्षिणी चीन सागर, पीला सागर और पूर्वी चीन सागर में अपना नौसैनिक कौशल दिखाया है।
250 द्वीपों पर कब्जा करना चाहता है चीन
ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, इस युद्धाभ्यास में 054 ए फ्रिगेट्स और 052 डी गाइडेड मिसाइल्स डिस्ट्रॉयर्स का बखूबी इस्तेमाल किया गया है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन यह सब भारत के साथ तनाव के बीच अपनी शक्ति प्रदर्शन नहीं कर रहा है, बल्कि अपनी विस्तारवादी सोच को सामने रख रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन अपनी ताकत का प्रदर्शन कर न सिर्फ गलवान घाटी ( Galwan Valley ) और लद्दाख पर कब्जा करना चाहता है, बल्कि दक्षिण चीन सागर ( South China Sea ) में स्थित लगभग 250 द्वीपों पर भी कब्जा करना चाहता है। यही कारण है चीन बार-बार साउथ चाइना सी में अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश लगातार कर रहा है।
बता दें कि चीन, दक्षिण चीन सागर पर लगातार अपना दावा करता रहा है, लेकिन पड़ोसी देश जापान ( Japan ), वियतनाम, इंडोनेशिया आदि इसका विरोध करते रहे हैं। जब ये मामला अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ( International court ) पहुंचा तो वहां पर भी चीन को मुंह की खानी पड़ी थी।
चीन की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए बीते दिनों ही अमरीका ने मिसाइलों से लैस अपने तीन जंगी जहाज इंडो पैसिफिक सी में भेजा है। ये जंगी जहाज जापान, वियतनाम, दक्षिण कोरिया के अपने ठिकानों के पास अभ्यास करेंगे। मालूम हो कि दुनिया का करीब एक तिहाई यानी लगभग तीन ट्रिलियन डॉलर का व्यापार इसी समुद्री रास्ते से होता है और दक्षिण चीन सागर का फ्री रहना जापान और ऑस्ट्रेलिया के द्विपक्षीय व्यापार के लिहाज से भी जरूरी है।