इस वक्त चंद्रयान-2 को लेकर जो सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है वो ये कि विक्रम लैंडर से संपर्क करने में जुटे ISRO के इस मिशन पर नॉर्थ कोरिया ने नजरे गढ़ाए रखी हैं। उत्तर कोरिया चाहता है कि लैंडर विक्रम की लोकेशन के आधार पर उसे पहले ढूंढ ले, क्योंकि इस लैंडर के जरिये कई चौंकाने वाले खुलासे होने की संभावना है।
तेजी से बदल रही मौसम की चाल, देश के इन राज्यों में अगले 48 घंटों तक मंडरा रहा बड़ा खतरा सेंध लगाना चाहता है नॉर्थ कोरिया
यही नहीं मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो नॉर्थ कोरिया भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो में सेंध लगाने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए बकायदा नॉर्थ कोरिया ने पहले से ही प्लानिंग भी कर रखी थी।
यही नहीं मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो नॉर्थ कोरिया भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो में सेंध लगाने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए बकायदा नॉर्थ कोरिया ने पहले से ही प्लानिंग भी कर रखी थी।
हार्ड लैंडिंग के वक्त किया साइबर हमला
रिपोर्ट्स के मुताबिक जिस वक्त चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह पर उतारने की कोशिश कर रहा था, उस समय उत्तर कोरिया के साइबर हैकर्स इसरो पर साइबर हमला कर दिया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक जिस वक्त चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह पर उतारने की कोशिश कर रहा था, उस समय उत्तर कोरिया के साइबर हैकर्स इसरो पर साइबर हमला कर दिया।
ISRO को दी गई थी चेतावनी
खास बात यह है कि इसरो को सितंबर में ही इस हमले को लेकर चेतावनी दी गई थी। उस समय इसरो ने दावा किया था कि उनके संस्थान के सिस्टम को हैक करने की कोशिश नाकामयाब हुई है। लेकिन सितंबर में चंद्रयान-2 से संपर्क टूटने के बाद अंतरिक्ष अभियान को झटका जरूर लगा था।
खास बात यह है कि इसरो को सितंबर में ही इस हमले को लेकर चेतावनी दी गई थी। उस समय इसरो ने दावा किया था कि उनके संस्थान के सिस्टम को हैक करने की कोशिश नाकामयाब हुई है। लेकिन सितंबर में चंद्रयान-2 से संपर्क टूटने के बाद अंतरिक्ष अभियान को झटका जरूर लगा था।
DTrack के जरिया किया हमला
नॉर्थ कोरिया के नियंत्रण में है हैकर्स इस मामले पर अमरीकी ऑफिसर्स का कहना है कि इस हमले को DTrack का इस्तेमाल करके अंजाम दिया गया है। क्या होता है DTrack
DTrack एक तरह का मालवेयर होता है, जो हैकिंग ग्रुप लैजारस से जुड़ा है। रिपोर्ट्स की मानें तो लैजारस को उत्तर कोरिया सरकार कंट्रोल करती है।
नॉर्थ कोरिया के नियंत्रण में है हैकर्स इस मामले पर अमरीकी ऑफिसर्स का कहना है कि इस हमले को DTrack का इस्तेमाल करके अंजाम दिया गया है। क्या होता है DTrack
DTrack एक तरह का मालवेयर होता है, जो हैकिंग ग्रुप लैजारस से जुड़ा है। रिपोर्ट्स की मानें तो लैजारस को उत्तर कोरिया सरकार कंट्रोल करती है।
18भारतीय राज्यों में वित्तीय संस्थानों और अनुसंधान केंद्रों में साइबर सिक्योरिटी फर्म कैस्परस्की की एक रिपोर्ट में मालवेयर का पता चला है। महाराष्ट्र में सियासी संकट के बीच पीएम मोदी ने लिया सबसे बड़ा फैसला, शिवसेना ने बताया
पहले भी हो चुका हमला
इस तरह साइबर हमला पहली बार नहीं हुआ है। बल्कि भारत के तमिलनाडु स्थित कुडनकुलम परमाणु रिएक्टर पर साइबर हमला हुआ था। माना जाता है कि उसे भी ऐसे ही मालवेयर से प्रभावित किया गया था। दक्षिण कोरिया के एक गैर लाभकारी खुफिया संगठन इशू मेकर्स लैब (आईएमएल) ने हाल ही में दावा किया था कि र्थ कोरिया के हैकर्स इस परमाणु रिएक्टर की टेक्नोलॉजी और डिजाइन्स को चुराना चाहते हैं और इसके लिए वे कई वरिष्ठ वैज्ञानिकों को भी अपना निशाना बना रहे हैं।
इस तरह साइबर हमला पहली बार नहीं हुआ है। बल्कि भारत के तमिलनाडु स्थित कुडनकुलम परमाणु रिएक्टर पर साइबर हमला हुआ था। माना जाता है कि उसे भी ऐसे ही मालवेयर से प्रभावित किया गया था। दक्षिण कोरिया के एक गैर लाभकारी खुफिया संगठन इशू मेकर्स लैब (आईएमएल) ने हाल ही में दावा किया था कि र्थ कोरिया के हैकर्स इस परमाणु रिएक्टर की टेक्नोलॉजी और डिजाइन्स को चुराना चाहते हैं और इसके लिए वे कई वरिष्ठ वैज्ञानिकों को भी अपना निशाना बना रहे हैं।
रिएक्टर के अधिकारियों ने भी माना था कि मालवेयर का निशाना प्रशासकीय कंप्यूटर था। चंद्रयान-2 की असफल लैंडिंग आपको बता दें कि ७ सितंबर को चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग होनी थी। लेकिन चंद्रमा पर लैंड करने से 2.1 किलोमीटर पहले ही लैंडर से संपर्क टूट गया था।
उस वक्त इसरो ने अपने सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें जारी करते हुए बताया था कि 7 सितंबर को लैंडर चांद की सतह से टकराया था यानि उसने चंद्रमा पर सॉफ्ट नहीं बल्कि हार्ड लैंडिंग की थी।
अगर यह मिशन पूरी तरह से सफल होता तो भारत सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला दुनिया का चौथा देश और दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन जाता। हालांकि हम इस मिशन को पूरी तरह असफल नहीं कह सकते क्योंकि ये मिशन 98 फीसदी सफल रहा है।