दरअसल, इस सप्ताह के शुरुआत में हाउस ऑफ कॉमन्स ( House Of Commons ) में एक निष्पक्ष बयान देने के दौरान कैबिनेट मंत्री प्रीति पटेल ( Preeti Patel ) ने ब्रिटेन में एक जातीय अल्पसंख्यक के तौर पर बचपन से अपने साथ हो रहे नस्लवादी दुर्व्यवहार के व्यक्तिगत अनुभवों का जिक्र किया। गृह सचिव प्रीति पटेल ने इस दौरान विद्रोही रुख अपनाते हुए कहा कि वह विपक्षी लेबर पार्टी के सांसदों के आरोपों से ‘खामोश’ नहीं होंगी।
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विपक्षी सांसदों ने ने प्रीति पटेल पर आरोप लगाया कि वह ब्रिटेन में समुदायों की ओर से सहे जा रहे नस्लवाद को अपनी भारतीय विरासत से भड़का ( Gaslighting ) रही हैं।
लेबर पार्टी के सांसदों ने लिखा खत
बता दें कि प्रीति पटेल के बयान को लेकर भारतीय मूल के सांसद वीरेंद्र शर्मा, प्रीत कौर गिल, वलेरी वाज़, सीमा मल्होत्रा और नादिया व्हिटोम समेत 12 जातीय अल्पसंख्यक लेबर पार्टी के सांसदों के एक समूह ने गुरूवार को उन्हें पत्र लिखा। पत्र में सभी ने कहा कि सिर्फ गैर अश्वेत होने मात्र से आपको नस्लवाद के सभी रूपों पर बात करने का अधिकार नहीं मिल जाता है।
जिस तरह आप पूरे ब्रिटेन में अश्वेत लोगों और समुदायों की ओर से सामना किए जाने वाले वास्तविक नस्लवाद को उजागर करने के लिए अपनी विरासत और नस्लवाद के अनुभवों का इस्तेमाल कर रही हैं, वैसे ही एशियाई अश्वेत नागरिक और जातीय अल्पसंख्यक सांसदों के रूप में हन अपनी घबराहट और निराशा व्यक्त करते हैं।
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इसके जवाब में प्रीति पटेल ने ट्विटर पर पत्र को सार्वजनिक करते हुए लिखा- मैं लेबर सांसदों द्वारा चुप नहीं कराई जा सकती हूं। जो लोग जातीय अल्पसंख्यकों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, उनके दृष्टिकोण के अनुरूप जारी रखने के लिए जारी रखते हैं।’ मुझे लेबर सांसदों द्वारा चुप नहीं कराया जा सकता है। लेबर संसद लगातार उन लोगों के योगदान को खारिज कर रहे हैं जो इनकी इस बात का समर्थन नहीं करते कि जातीय अल्पसंख्यकों को कैसा व्यवहार करना चाहिए।