उन्होंने कहाकि इस कानून में पड़ोसी देशों के स्वतंत्र मुस्लिम विचारकों, नारीवादियों और धर्मनिरपेक्ष लोगों के लिए छूट दी जानी चाहिए। ‘यह सुनने में अच्छा लगता है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगनिस्तान में धार्मिक कारण से उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिलेगी। यह बहुत अच्छा विचार है और बहुत ही उदार है।’
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भारत में निर्वासित जीवन बिता रही बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन कहा कि मैं मानती हूं कि मुस्लिम समुदाय में मुझ जैसे लोग, स्वतंत्र विचारक और नास्तिक हैं जिनका उत्पीड़न पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में किया जाता है और उन्हें भारत में रहने का अधिकार मिलना चाहिए।’
उन्होंने इस दौरान यह भी कहा कि इस्लाम को और अधिक लोकतांत्रिक और निर्मल होना चाहिए। हमें और अधिक मुक्त विचारकों की आवश्यकता है। समान नागरिक संहिता समानता पर आधारित होनी चाहिए, न कि धर्म पर।
बता दें कि नसरीन ने केरल साहित्य महोत्सव के दूसरे दिन ‘निर्वासन : लेखक की यात्रा’ सत्र को संबोधित करते हुए ये बात कही।
1994 में नसरीन ने बांग्लादेश छोड़ दिया था
आपको बता दें कि 1994 से 57 वर्षीय तसलीमा नसरीन निर्वासित जीवन बिता रही हैं। जबकि वह 2004 से भारत में रह रही हैं। तसलीमा निवास परमिट के आधार पर दिल्ली में रह रही हैं। अपनी लेखनी को लेकर विवादों में रहने वाली तसलीमा ने एक मुस्लिम नास्तिक ब्लॉगर का उदाहरण देते हुए कहा कि कुछ साल पहले बांग्लादेश में संदिग्ध इस्लामिक आतंकवादियों ने उनकी हत्या कर दी थी।
इसके बाद अपनी जान बचाने के लिए कई ब्लॉगर यूरोप या अमरीका चले गए। उन्होंने कहा कि क्यों नहीं वे भारत आए? भारत को आज मुस्लिम समुदाय से और स्वतंत्र विचारकों, धर्मनिरपेक्षवादियों, नारीवादियों की जरूरत है।’
नसरीन ने आगे कहा कि वह हमेशा भारत में घर जैसा महसूस करती हैं। ‘लोग मुझे बताते हैं कि मैं एक विदेशी हूं। हालांकि, मुझे हमेशा ऐसा लगता है कि मैं अपने घर पर हूं। मैं केवल और केवल भारत में ही रहूंगी। उल्लेखनीय है कि हाल में तसलीमा नसरीन की किताब ‘बेशरम’ आई है जो उनकी प्रचलित कृति ‘लज्जा’ की कड़ी है।
क्या है नागरिकता संशोधन कानून
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने नागरिकता कानून में संशोधन करते हुए बीते साल 11 दिसंबर को संसद से विधेयक पारित कराया। संशोधित नागरिकता कानून में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताड़ित हिंदू, पारसी, सिख, जैन, बौद्ध और ईसाई समुदाय के ऐसे लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।
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इसमें कहा गया है कि इन 6 अल्पसंख्यक समुदाय के लोग इन तीन देशों से 31 दिसंबर 2014 से पहले तक यहां आए और छह साल से देश में रह रहे हो उन्हें भारत की नागरिकता दी जाएगी।
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