गुमनामी के अंधेरे में छिपा यह स्थान चमोली जिले में भारत-तिब्बत सीमा क्षेत्र के नीती गांव के समीप स्थित टिम्मरसैंण महादेव गुफा के नाम से जाना जाता है। यहां पर हर वर्ष शीतकाल में बर्फ का करीब 10 फुट ऊंचाई का शिवलिंग प्रकट होता है। इस मंदिर का प्रचार-प्रसार न होने के चलते यहां कुछ एक स्थानीय लोगों के आलावा कोई भी नहीं पहुंच पाता है। यदि सरकार की ओर इस ओर पहल की जाती है, तो नीति घाटी में शीतकालीन पर्यटन को लेकर अपार संभावनाएं हैं।
क्या कहते हैं स्थानीय ग्रामीण क्षेत्र के सतेंद्रपाल, भीम सिंह खाती और राजेंद्र सिंह का कहना है कि वर्ष 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध से पूर्व शीतकाल में भी श्रद्धालु टिम्मरसैंण महादेव स्थित बाबा बर्फानी के दर्शन करने के लिए पहुंचते थे। लेकिन भारत-चीन युद्ध के बाद शीतकाल में इस क्षेत्र में आम लोगों का प्रवेश सुरक्षा की दृष्टि से वर्जित कर दिया गया। इस वजह से अब लोगों का शीतकाल में यहां आना-जाना बंद ही रहता है। कहते हैं कि मंदिर में दिसंबर माह में बर्फबारी होने के बाद ही यहां बाबा बर्फानी अपने स्वरूप में प्रकट हो जाते हैं और मार्च माह तक करीब 10 फुट ऊंचा शिवलिंग बन जाता है।
ये भी पढ़ें: हिंदुओं के पवित्र तीर्थस्थल केदारनाथ में आज हुई बर्फबारी का मनमोहक दृश्य कम बर्फबारी होने पर भी होते हैं बाबा बर्फानी के दर्शन स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि कभी-कभी जब इस क्षेत्र में सामान्य से कम बर्फबारी होती है या टिम्मरसैण के आस-पास न के बराबर बर्फ गिरती है, तब भी टिम्मरसैण में बाबा बर्फानी के दर्शन हो जाते हैं, जो अपनेआप में काफी अनूठा है।
ये भी पढ़ें: राममंदिर न बना, तो जनता का भरोसा खो देगी भाजपा: बाबा रामदेव क्या कहते हैं अधिकारी क्षेत्र के निवासी और अपर आयुक्त गढवाल मंडल पौड़ी गढ़वाल कहते है कि टिम्मरसैण के लिए कार्य योजना तैयार की जा रही है। इस बार एक से 10 मार्च तक यात्रा के आयोजन की तैयारी की जा रही है। आगामी वर्षों में इस समय को और बढ़ाने की योजना भी अमल में लाई जाएगी।