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Ashraf Gani ने अपनी अवाम से मांगी माफी, कहा-काबुल छोड़ना मेरे लिए सबसे कठिन फैसला था

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Gani) ने कहा कि काबुल छोड़ना उनके लिए सबसे मुश्किल फैसला था।

Sep 08, 2021 / 09:02 pm

Mohit Saxena

अशरफ गनी

नई दिल्ली। पूर्व अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Gani) ने अफगानिस्तान (Afghanistan) छोड़ने के बाद अपनी बात रखी है। उन्होंने ट्वीट कर अपना बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि वे सुरक्षाबलों के कहने के बाद ही काबुल से विदा हुए।

गनी ने कहा कि उन्हें बताया गया कि अगर वे काबुल को नहीं छोड़ते हैं तो एक बार फिर 1990 जैसे हालात हो जाएंगे। गनी ने कहा कि काबुल छोड़ना उनके लिए सबसे मुश्किल फैसला था। मगर उनका मानना है कि लाखों लोगों को बचाने का यही एकमात्र तरीका था।

लोकतंत्र के लिए काम करते रहे

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा वे 20 साल से अधिक अफगानिस्तान में लोकतंत्र के लिए काम कर रहे हैं। वे कभी काबुल नहीं छोड़ना चाहते थे। ये वक्त उनके अफगानिस्तान छोड़े जाने के लंबे मूल्यांकन का बिल्कुल नहीं है। उनके भविष्य के बारे में विस्तार से बात करूंगा।

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https://twitter.com/ashrafghani/status/1435587942228140039?ref_src=twsrc%5Etfw

भ्रष्ट्राचार से लड़ना उनका प्रमुख मकसद

अशरफ गनी के अनुसार उन्हें निराधार आरोपों का जवाब देना है। उन पर आरोप लगाए गए कि वे काबुल से निकलते वक्त आम लोगों के करोड़ों रुपये साथ ले गए। ये आरोप पूरी तरह से झूठे हैं। एक राष्ट्रपति के तौर पर भ्रष्ट्राचार से लड़ना उनका प्रमुख मकसद रहा है। उन्होंने और उनकी पत्नी ने अपनी सारी संपत्ति सावर्जनिक रूप से घोषित कर दी है। वे अपने बयानों की सत्यता को साबित करने के लिए यूनाइटेड नेशंस या किसी और स्वतंत्र निकाय के तहत आधिकारिक ऑडिट या जांच का स्वागत करते हैं।

बलिदान के प्रति सम्मान प्रकट किया

गनी का कहना है कि उन्हें यकीन है कि एक लोकतांत्रिक अफगानिस्तान एकमात्र रास्ता है। यह देश को आगे बढ़ाने का रास्ता है। उन्होंने कहा है कि वह बीते 40 सालों से लड़ रहे अफगान सैनिकों ओर उनके परिवार वालों के बलिदान के प्रति सम्मान प्रकट करते हैं। उन्हें बेहद अफसोस है कि उनका अध्याय त्रासदी में खत्म हुआ है। गनी ने कहा कि वे अफगानिस्तान के लोगों से माफी मांगते हैं। वे इसे बेहतर तरीके से खत्म नहीं कर सके।

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