अमरीकी विदेश विभाग ने बुधवार को एक बयान में कहा कि नई दिल्ली ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली धारा को खत्म करने के अपने फैसले के बारे में वाशिंगटन से न तो परामर्श किया है और नहीं इसकी कोई जानकारी दी है।
दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के ब्यूरो ने अमरीकी विदेश विभाग की ओर से किए गए ट्वीट के हवाले से कहा है कि जम्मू और कश्मीर की विशेष संवैधानिक स्थिति को रद्द करने के लिए आगे बढ़ने से पहले, प्रेस रिपोर्टिंग के विपरीत भारत सरकार ने अमरीकी सरकार से न कोई र्चचा की है और न हीं सूचित किया।
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ट्वीट पर दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों के प्रमुख उप सहायक सचिव एलिस वेल्स द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे।
अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया जैसे मुद्दों पर पाकिस्तानी नेताओं के साथ महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ता करने के लिए वेल्स मंगलवार को इस्लामाबाद पहुंचे।
इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत की ओर से अनुच्छेद 370 खत्म करने के बाद वह कश्मीर में मौजूदा स्थिति पर भी चर्चा की।
बता दें कि संसद ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के लिए एक पुनर्गठन विधेयक को भी मंजूरी दी है।
ट्रंप ने कश्मीर विवाद पर मध्यस्थता की पेशकश की थी
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जुलाई में कश्मीर विवाद पर मध्यस्थता करने की पेशकश कर सबको चौंका दिया था। इसके बाद एक बार फिर से कश्मीर मुद्दे की मध्यस्थता करने की पेशकश को दोहराया।
हालांकि भारत ने दोनों ही बार अमरीकी राष्ट्रपति की पेशकश को ठुकरा दिया और साफ कर दिया कि कश्मीर विवाद भारत-पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है। इसे दोनों देश आपसी बातचीत के जरिए ही सुलझाएंगे।
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मोदी सरकार ने ट्रंप की ओर से दुसरी बार मध्यस्थता की पेशकश किए जाने के कुछ ही दिनों बाद अनुच्छेद 370 हटाने का कदम उठाया है।
मालूम हो कि विदेश मंत्रालय ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों के साथ उन विदेशी दूतों को इसकी जानकारी दी थी, जिन्हें राज्यसभा ने अनुच्छेद 370 को रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया था।
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