तब तबलीगी जमात के संस्थापक और मौलाना साद के परदादा मौलाना यूसूफ साहब कहा करते थे कि पहले जिस्म पर तो इस्लाम ले आओ फिर मुल्क में इस्लाम लाना। यानी झूठ, फरेब, गलती, बेइमानी को अपने अंदर से दूर करो। तबलीग की स्थापना कुराना की आयात पर है। तुम बेहतरीन हो ।
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मौलान साद को कार्यक्रम नहीं करने की दी थी सलाह-सरेशवाला
70 सालों से तबलीगी जमात देशभर में चल रहा है। सरकार के पास सारा इसका रिकॉर्ड है। सरकार या जांच एजेंसियां सब जानती है कि तबलीगी जमात के लोग अच्छा काम करते हैं। लेकिन कोरोना काल में मौलाना साद साहब से गलती हुई है। मैंने दोस्त के नाते उन्हें सलाह दी थी, लेकिन वह नहीं मानें ।
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तबलीगी जमात आज दो गुटों में बंट गया
पिछले पांच सालों से तबलीगी जमात दो ग्रुपों में बंट गया है। एक मौलाना साद का है और दूसरा इब्राहिम देवला और मोहम्मद लाड हैं। आज 60 फीसदी उनके पास है। उनसे भी मैंने यही बात कही थी। उन्होंने मेरी सलाह मानकर कार्यक्रम को मौकूफ कर दिया। लेकिन मौलाना साद साहब इस बात को नहीं माने और कार्यक्रम होने दिया। मौलान साद ने गलती की है और सबसे बड़ी गलती कि वह आज तक सामने नहीं आ पाए हैं। अगर सामने आ जाते और कह देते कि लोग अपना इलाज कराए तो यह समस्या इतनी नहीं बढ़ती।