‘आप’ के साथ तालमेल की अटकलों पर कांग्रेस का विराम, सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी पार्टी
समय की पुकार है कि अब कार्रवाई की जाए। ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम नहीं किया गया, तो हालात बेकाबू हो जाएंगे। नोबल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिकों के दल द्वारा तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोप में जानलेवा लू, अमरीका में दावानल, आस्ट्रेलिया में भीषण सूखा और मोजाम्बिक, थाईलैंड और पाकिस्तान में प्रलयकारी बाढ़ जैसी 21वीं शताब्दी की आपदाओं ने यह दिखा दिया है कि मानवता के लिए मौसम का खतरा कितना बड़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन का प्रभाव अधिक बढ़ा तो खतरा और बढ़ जाएगा।
अमरीका के साथ दक्षिण कोरिया के सैन्याभ्यास पर भड़का किम जोंग-उन, वादाखिलाफी का आरोप
अभी हाल ही में उत्तर भारत के कई राज्यों के साथ-साथ हिमालय पर स्थित नेपाल में आया भूकंप, उत्तराखण्ड में आई भीषण प्राकृतिक आपदा, जापान के पिछले 140 सालों के इतिहास में आए सबसे भीषण 8.9 की तीव्रता वाले भूकंप की वजह से प्रशांत महासागर में आई सुनामी के साथ ही यूरोप में जानलेवा लू, अमरीका में दावानल, आस्ट्रेलिया में भीषण सूखा और मोजाम्बिक, थाईलैंड और पाकिस्तान में प्रलयकारी बाढ़ जैसी 21वीं शताब्दी की आपदाओं ने सारे विश्व का ध्यान इस अत्यन्त ही विनाशकारी समस्या की ओर आकर्षित किया है। आईएएनएस के अनुसार कुछ समय पूर्व पर्यावरण विज्ञान के पितामह जेम्स लवलौक ने चेतावनी दी थी कि यदि दुनिया के निवासियों ने एकजुट होकर पर्यावरण को बचाने का प्रभावशाली प्रयत्न नहीं किया तो जलवायु में भारी बदलाव के परिणामस्वरूप 21वीं सदी के अन्त तक छह अरब व्यक्ति मारे जाएंगे। संसार के एक महान पर्यावरण विशेषज्ञ की इस भविष्यवाणी को मानव जाति को हलके से नहीं लेना चाहिए।