आंदोलन में शामिल महिला किसान अपने हाथों में जो इंकलाबी मेहंदी रचाएंगी, उसमें वे कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे नारे और स्लोगन लिखवाएंगी। इसके अलावा, फसल, खेत, किसानों के संघर्ष, कृषि उपकरण जैसे हल, फरसा, टै्रक्टर आदि के चित्र मेहंदी से बनवाएंगी।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस यानी 8 मार्च को होने वाले अनूठे किसान आंदोलन की रूपरेखा रवनीत कौर तैयार कर रही हैं। रवनीत के मुताबिक, इस अवसर महिला किसानों को विशेष सम्मान देने के साथ-साथ इस पूरे आंदोलन को मजबूत करने के लिए भी जरूरी प्रयास किए जाएंगे। इस दिन महिलाएं ही गाजीपुर और सिंधु-टीकरी सीमा पर आंदोलन का मंच संभालेंगी। महिला किसान भाषण के जरिए अपनी बात रखेंगी और आंदोलन में महिलाएं ही वालंटियर भी बनेंगी।
रवनीत कौर के मुताबिक, यह पहली बार नहीं है, जब महिलाएं किसान आंदोलन की कमान अपने हाथों में ले रही हैं। इसी आंदोलन में पहले भी ऐसा कुछ हो चुका है। बीते 18 जनवरी को महिला किसान दिवस था। इस दिन भी आंदोलन में महिलाओं को ही बहुत सारी जिम्मेदारियां दी गई थीं। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन और बड़ा कुछ करने की तैयारी की जा रही है, जिससे सभी तक हमारी बात पहुंचे। इस अनूठे आंदोलन के दौरान ज्यादा से ज्यादा महिला किसानों को दिल्ली की सीमाओं पर बुलाने की तैयारी हो रही है। इसके लिए मोबाइल से भी संदेश भेजे जा रहे हैं, जिससे महिला किसान मंच पर पहुंचें।
वहीं, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के पूरे दिन के लिए कुछ और भी योजनाएं बनाई गई हैं। इसमें कई महिला किसानों को मंच पर बुलाकर सम्मानित भी किया जाएगा। किसान आंदोलन के अतिरिक्त खेतों में किए गए उनके बेहतर कार्यों के लिए भी प्रोत्साहित व सम्मानित किया जाएगा। कुछ महिलाएं मंच पर आकर अपने अनुभव भी साझा करेंगी, जिससे यह दूसरी महिला किसानों के लिए प्रेरणा बने।