इन संदिग्धों को दिल्ली से नेपाल पहुंचना था, जहां से इन्हें आईएसआई ISI की मदद से पाक जाना था। वहां इन्हें आतंकी प्रशिक्षण देने की तैयारी थी। इसके बाद पंजाब के कुछ और नौजवानों को संगठन से जोड़कर उन्हें खास ट्रेनिंग देने की योजना थी। इस बात का खुलासा दोनों संदिग्धों से पूछताछ में हुआ है।
संदिग्धों का कहना है कि वे खालिस्तान समर्थित चैनल देखकर इस ओर आकर्षित हुए। ये व्हाट्सऐप के जरिए ‘सिख फॉर जस्टिस’ के सदस्य बने। ये लगातार विदेश में रहने वाले खालिस्तानी समर्थकों से जुड़े थे। इनके जरिए ये योजना तैयार की गई थी। इसके तहत इन्हें दिल्ली से नेपाल जाना था। वहां आईएसआई की मदद से इन्हें पाकिस्तान लाया जाता।
झंडा फहराने का आह्वान किया था पूछताछ में इंद्रजीत ने बताया कि भारत विरोधी यूट्यूब चैनल विदेश से राणा नाम का शख्स संचालित करता है। उसने सिख युवकों को खालिस्तानी झंडा फहराने का आह्वान किया था। राणा ने खास तारीख को झंडा फहराने के लिए इनाम रखा था। युवकों को 14, 15 और 16 अगस्त को लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराने पर 1,25,000 डॉलर की इनामी राशि तय की गई थी।
तिरंगे को हटाकर खालिस्तानी झंडा फहरा दिया इंद्रजीत सिंह ने गांव के ही इंटरनेट कैफे चलाने वाले शख्स जसपाल सिंह से मिलकर 14 अगस्त को पंजाब स्थित मोगा के डीसीपी कार्यालय पर खालिस्तानी झंडा फहराने की साजिश रचि थी। इसके लिए उसने गांव के अन्य साथी आकाशदीप को अपने साथ शामिल किया था। तीनों 13 अगस्त को खालिस्तानी झंडा खरीदा। 14 अगस्त को इंद्रजीत सिंह और जसपाल सिंह ने डीसी कार्यालय की छत पर पहुंच गए। यहां पर उन्होंने तिरंगे को हटाकर खालिस्तानी झंडा फहरा दिया। वहीं इसकी वीडियोग्राफी आकाशदीप सिंह कार्यालय के बाहर से कर कर रहा था। ये वीडियो सिख फॉर जस्टिस चैनल और व्हाट्सएप ग्रुप पर चलाया गया ताकि अन्य नौजवानों को प्रेरित किया जा सके। ये वीडियो वायरल हो गया। इस घटना में आकाशदीप पंजाब पुलिस के हत्थे चढ़ गया। वहीं इंद्रजीत सिंह और जसपाल सिंह फरार हो गए थे।
आईएसआई एजेंट से खास मुलाकात करनी थी इंद्रजीत सिंह और जसपाल सिंह दोनों लगातार विदेशी खालिस्तानी हैंडलर के करीब थे। उसने निर्देश दिया कि वे वहां से दिल्ली आ जाएं। विदेशी हैंडलर इसके लिए उन्हें बीस हजार रुपये भी भिजवाए थे। दोनों की प्रशिक्षण के लिए नेपाल के रास्ते पाक जाने की तैयारी में थे। नेपाल में जाने के बाद इन्हें आईएसआई एजेंट से खास मुलाकात करनी थी। वह उनके रहने का इंतजाम कराता। यहां से उन्हें पाक ले जाया जाता।