क्यों कोरोना की दूसरी लहर में मजबूत इम्यून सिस्टम बना बड़ी परेशानी
चिकित्सकों की मानें तो कोरोना की दूसरी लहर में युवाओं का मजबूत इम्यून सिस्टम ही उन्हें संक्रमण होने के बाद ज्यादा गंभीर हालत में पहुंचाने की वजह बना है।
Why second wave is making Covid-19 patients with strong immune system very sick
नई दिल्ली। कोरोना वायरस की इस दूसरी लहर में मजबूत इम्यून सिस्टम ही परेशानी की बड़ी वजह बन गया है, वो भी खासकर युवा संक्रमित मरीजों में। डॉक्टरों का कहना है कि आंशिक रूप से मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण बड़ी संख्या में 18 से 45 वर्ष की आयु के युवा गंभीर लक्षणों से पीड़ित हैं।
Must Read: Covid-19 वैक्सीनेशन से पहले और बाद में मत करें ये 6 काम एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसके पीछे का कारण एक साइटोकाइन स्टॉर्म है। यह तब होता है जब शरीर वायरस को मारने की कोशिश में अपनी ही कोशिकाओं और ऊतकों पर हमला करना शुरू कर देता है। यह बुजुर्गों को भी होता है, लेकिन उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली अपेक्षाकृत कमजोर होती है जिसके कारण उनपर इसका प्रभाव हल्का होता है और अक्सर जानलेवा नहीं होता है।
सीएमआरआई अस्पताल में पल्मोनोलॉजी के निदेशक डॉ. राजा धर ने बताया, “वे स्वस्थ व्यक्ति हैं और बहुत कम लोगों को पहले से कोई बीमारी थी। पिछले साल के अनुभव से हमने देखा है कि ऐसे मरीज बहुत हल्की बीमारी से पीड़ित होते हैं लेकिन उनमें से कई ने इस बार कोरोना के कारण दम तोड़ दिया। इसका एक कारण साइटोकाइन स्टॉर्म है। इनमें फेफड़े सबसे अधिक प्रभावित अंग बन रहे हैं और इसके बाद हृदय, गुर्दे और यकृत का नंबर आता है। इसलिए इन युवाओं में सांस लेने में तकलीफ कोविड का पहला गंभीर लक्षण रहा है।”
बेले वू क्लीनिक के इंटर्नल मेडिसिन सलाहकार के अनुसार, चूंकि बुजुर्गों और मध्यम आयु वर्ग के लोगों को पहले से ही टीका लगाया जा चुका है, इसलिए इस बार आबादी का सबसे कमजोर हिस्सा युवा बने हुए हैं। उन्होंने कहा, “वे न केवल असुरक्षित हैं बल्कि इस बात से भी संतुष्ट हैं कि उन्हें एक हल्की बीमारी ही होगी। लेकिन दूसरी लहर पहली से अलग रही है और इस बार गंभीरता कहीं ज्यादा है। पिछली बार के उलट यह उन लोगों को नहीं बख्श रही है, जिन्हें पहले से कोई बीमारी है। वास्तव में, हमारे अधिकांश मरीज युवा हैं जो बहुत निराशाजनक है।”
Must Read: कोरोना वायरस की तीसरी लहर रोकी नहीं जा सकती, केंद्र सरकार ने कहा तैयार रहें केंद्र सरकार के एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम ने दिखाया कि दूसरी लहर में लगभग 32 फीसदी मरीजों (अस्पताल में भर्ती और बाहर के अस्पतालों दोनों) की उम्र 30 वर्ष से कम थी, जबकि पहली लहर के दौरान यह 31 प्रतिशत थी। 30-40 आयु वर्ग के लोगों में दोनों लहरों के दौरान संक्रमण एक जैसा ही यानी 21 प्रतिशत ही रहा है। हालांकि इस बार युवाओं में ऑक्सीजन की जरूरत ज्यादा है।
कई रिपोर्टों के मुताबिक कई युवा मरीज अपने फेफड़ों में ‘ग्राउंड ग्लास ओपेसिटी’ की शिकायत कर रहे हैं, जो एक ऐसी स्थिति है जहां संक्रमण के कारण फेफड़े का रूप बदल जाता है। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के अधिकारी को संदेह है कि वर्तमान में कई प्रकार अधिक संक्रामक वेरिएंट्स मौजूद हैं जो पूरे परिवारों को संक्रमित करते हैं और युवाओं में संक्रमण मामलों में बढ़ोतरी का यह एक कारण हो सकता है।