मदर टेरेसा के साथ किया काम आईआईटी खड़गपुर से मकैनिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई करने वाले अरविंद केजरीवाल ने टाटा की नौकरी को ना कह दिया था। इस बीच मदर टेरेसा से मिलने की चाहत लिए कोलकाता का रूख किया। केजरीवाल ने मदर टेरेसा के संगठन के साथ मिलकर काम किया। बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, अपने जीवन को गरीबों की सेवा में अर्पण करने वाली मदर टेरेसा के बड़े प्रशंसक थे। जब केजरीवाल की मुलाकात मदर टेरेसा से हुई तो केजरीवाल ने कहा कि, ‘मैं आपके साथ काम करना चाहता हूं’। उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और बोलीं, ‘जाओ और कालीघाट में काम करो।’ मैंने कोलकाता में ही उनके संगठन के साथ काम करना शुरू कर दिया। केजरीवाल ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि हम पूरे कोलकाता में घूमने जाते। फुटबाथ, गली-मुहल्लों में जाते वहां उन्होंने ऐसे-ऐसे गरीबी से जूझते हुए लोग देखे जिनको गैंग्रीन (शरीर के किसी अंग का गल या मर जाना) की बीमारी थी। उन्हें लेकर हम मिशन के अस्पताल आते थे। केजरीवाल ने बताया था कि, “मैं तकरीबन दो महीने तक मदर टेरेसा के संगठन के साथ काम करता रहा। सही मायने में सेवा का सच्चा मतलब मुझे वहीं पता चला। इसने मुझे पूरी तरह से बदल दिया। इसके बाद मैं बोडोलैंड के अंदरूनी क्षेत्रों में गया। केजरीवाल कुछ समय के लिए रामकृष्ण मिशन और नेहरू युवा केंद्र के साथ भी जुड़े रहे। साथ ही साथ हरियाणा में कई जगहों पर काम करने भी गए। बाहर घूमने की वजह से उनके पिता-पिता परेशान रहते। क्योंकि उस वक्त इस दौरान मेरी कारण से मेरे माता-पिता काफी परेशान हुए। तब मोबाइल फोन नहीं हुआ करते थे। उन्हें मेरी कोई खोज-खबर नहीं रहती थी। इसके बाद केजरीवाल ने सिविल सर्विसेज परीक्षा पास कर ली। उन्हे इनकम टैक्स विभाग में नौकरी मिली। नौकरी के साथ-साथ परिवर्तन नाम की संस्था बनाई। सिस्टम में बदलाव को लेकर कई पीआईएल दायर की गई। ‘सूचना का अधिकार’ कानून लागू कराने को लेकर धरना भी दिया। भ्रष्टाचार की लड़ाई और बढ़ी हुई तो केजरीवाल समाजसेवक अन्ना हजारे के जनलोकपाल आंदोलन के साथ जुड़ गए। इसके बाद उन्होंने आम आदमी पार्टी बना ली। फिर राजनीति के पटल पर केजरीवाल छा गए।