कोरोना महामारी (Coronavirus) की दूसरी लहर का कहर देशभर में अभी भी जारी है। इसी के साथ-साथ अब ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमाइकोसिस का संक्रमण भी तेजी से फैलने लगा है। बीते एक हफ्ते में देशभर में इसके सैंकड़ों केस सामने आ चुके हैं। संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए अब केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एक ट्वीट किया है और लोगों को सलाह दी है कि इस संक्रमण से किस तरह अपना बचाव करें।
बीते कुछ हफ्तों में यह सामने आया है कि यदि ब्लैक फंगस की जानकारी या इसके लक्षण जल्दी दिख जाएं और इसका सही तरीके से इलाज हो तो इस जानलेवा संक्रमण पर लगाम कसी जा सकती है। इसके लिए सबसे पहले लोगों में इस संक्रमण के आते ही जो दहशत होती है, उसे दूर करना होगा और उनमें सकारात्मक ऊर्जा भरनी होगी, जिससे संक्रमित व्यक्ति इससे लड़ सके। हर्षवर्धन ने अपने ट्वीट में चार स्लाइड में लोगों को बताया है कि किस तरह इस संक्रमण की पहचान की जाए और इससे बचा कैसे जाए। तो आइए जानते हैं इस संक्रमण को लेकर पूरी जानकारी और कैसे इससे बचें-
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क्या है ब्लैक फंगसकेंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने अपने ट्वीट में चार स्लाइड शेयर किए हैं। इसकी पहली स्लाइड में उन्होंने बताया है कि म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस होता क्या है। इसमें उन्होंने बताया है कि म्यूकरमाइकोसिस एक फंगल संक्रमण है। यह उन लोगों में देखने को मिल रहा है, जिन्हें पहले से ही कोई बीमारी है और यह वातावरण में फैले रोगाणुओं से लडऩे में अक्षम साबित हो रहा है। ब्लैक फंगस मरीज के दिमाग, फेफड़े या फिर स्किन पर भी अटैक कर सकता है। इस बीमारी में कई मरीजों के आंखों की रोशनी जा चुकी है। वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी के गलने की भी शिकायतें हैं। इसके अतिरिक्त भी तमाम दूसरी परेशानियां हैं। अगर समय रहते इसे कंट्रोल न किया गया तो इससे मरीज की मौत भी हो सकती है।
कैसे संक्रमित हो रहे
केंद्रीय मंत्री ने अपनी दूसरी स्लाइड में यह बताया है कि लोग इस संक्रमण का शिकार किस तरह से हो सकते हैं। हर्षवर्धन ने बताया कि ऐसे लोग जो पहले किसी बीमारी से ग्रस्त हैं और उनकी वेरिकोनाजोल थेरेपी यानी किसी गंभीर फंगल संक्रमण का इलाज पहले से चल रहा है, साथ ही उनका डायबिटिज नियंत्रण में नहीं है तथा स्टेराइड देने के कारण उनकी इम्युनिटी पर असर हुआ है और वे लंबे समय तक किसी अस्पताल के आईसीयू में रहे हैं, ऐसे लोगों को यह फंगल संक्रमण जल्दी हो सकता है।
केंद्रीय मंत्री ने अपनी दूसरी स्लाइड में यह बताया है कि लोग इस संक्रमण का शिकार किस तरह से हो सकते हैं। हर्षवर्धन ने बताया कि ऐसे लोग जो पहले किसी बीमारी से ग्रस्त हैं और उनकी वेरिकोनाजोल थेरेपी यानी किसी गंभीर फंगल संक्रमण का इलाज पहले से चल रहा है, साथ ही उनका डायबिटिज नियंत्रण में नहीं है तथा स्टेराइड देने के कारण उनकी इम्युनिटी पर असर हुआ है और वे लंबे समय तक किसी अस्पताल के आईसीयू में रहे हैं, ऐसे लोगों को यह फंगल संक्रमण जल्दी हो सकता है।
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क्या हैं इसके लक्षणस्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने अपने ट्वीट की तीसरी स्लाइड में बताया है कि म्यूकरमाइकोसिस के लक्षण क्या हो सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति किसी वजह से इस संक्रमण की चपेट में आ जाता है तो क्या करे और क्या नहीं। कोरोना की दूसरी लहर में ऐसे मरीज जो ठीक हो रहे हैं या फिर ठीक हो चुके हैं, दोनों में ही ब्लैंक फंगस का संक्रमण देखने को मिल रहा है। इस वजह से फिलहाल इस संक्रमण की चर्चा और अधिक हो रही है। संक्रमण से पीडि़त व्यक्ति के आंख, नाक के किनारों पर दर्द होता है। यहां लाल निशान दिखाई देने लगते हैं। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति को बुखार, सिरदर्द, खांसी, सांस लेने में परेशानी, खून के साथ उल्टी आना और अक्यर मानसिक स्थिति भी खराब होने लगती है।
क्या करें अगर संक्रमित हो जाएं तो….
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने अपने ट्वीट में बताया है कि यदि किसी को संक्रमण का डर है या फिर कोई व्यक्ति संक्रमित हो चुका है, तो वह क्या करे और क्या नहीं। हर्षवर्धन के मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति ब्लैक फंगस से संक्रमित हो जाए तो हाइपरग्लाइसीमिया यानी खून में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने की कोशिश करे। ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान ह्यूमिडीफायर्स में स्वच्छ और स्टेरलाइज वॉटर का इस्तेमाल करे। कोरोना से अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद डायबिटिज में ब्लड ग्लूकोज के स्तर को जांचते रहें। एंटीबॉयोटिक्स या एंटी फंगल दवाओं का इस्तेमाल सावधानी से करें।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने अपने ट्वीट में बताया है कि यदि किसी को संक्रमण का डर है या फिर कोई व्यक्ति संक्रमित हो चुका है, तो वह क्या करे और क्या नहीं। हर्षवर्धन के मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति ब्लैक फंगस से संक्रमित हो जाए तो हाइपरग्लाइसीमिया यानी खून में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने की कोशिश करे। ऑक्सीजन थेरेपी के दौरान ह्यूमिडीफायर्स में स्वच्छ और स्टेरलाइज वॉटर का इस्तेमाल करे। कोरोना से अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद डायबिटिज में ब्लड ग्लूकोज के स्तर को जांचते रहें। एंटीबॉयोटिक्स या एंटी फंगल दवाओं का इस्तेमाल सावधानी से करें।