शराब कारोबारी ने कहा कि केंद्रीय मंत्री का बयान है कि मेरे से बैंकों का कर्ज चुकाने के लिए पर्याप्त समय था। लेकिन सच तो यह है कि मैं 2016 से ही इसके सेटलमेंट के प्रयास में हूं, क्योंकि पिछले दो सालों के मुकाबले प्रोपर्टी के रेट अब अधिक हैं। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय अपने आरोपपत्र में साफ तौर पर यह आरोप लगाती है कि बैंकों का कर्ज अदा करने का कोई इरादा नहीं था। दरअसल, भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या ने कर्नाटक उच्च न्यायालय से उसे (माल्या) व उसकी स्वामित्व वाली कंपनी यूबीएचएल को न्यायिक देखरेख में उनकी संपत्तियों को बेचने देने व सरकारी बैंकों सहित लेनदारों का भुगतान करने की अनुमति मांगी है। माल्या ने मंगलवार को जारी एक पत्र में कहा है, “यूबीएचएल (यूनाइटेड ब्रेवरीज होल्डिंग लिमिटेड) और मैंने 22 जून को कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष एक आवेदन दायर किया है, जिसमें करीब 13,900 करोड़ रुपये की उपलब्ध संपत्ति बेचने की अनुमति देने का जिक्र है।
उच्च न्यायालय के सामने तथ्य
शराब कारोबारी ने कहा कि उसने माननीय कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष सारे तथ्य रखे हैं तो इसमे यह बात कहां सिद्ध होती है कि इरादा गलत है। वहीं माल्या ने बुधवार को कहा था कि माल्या ने कहा कि सीबीआई और ईडी ने सरकार व कर्ज देने वाले बैंकों के इशारे पर मेरे खिलाफ अपुष्ट व झूठे आरोपों के साथ आरोप पत्र दाखिल किए हैं। ईडी ने मेरी व मेरे समूह की कंपनियों व मेरे परिवार के स्वामित्व वाली संपत्तियों को धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत जब्त किया है, जिनका वर्तमान में मूल्य 13,900 करोड़ रुपये है।