13 दिन चले इस युद्ध में भारत के वीर जांबाजों ने पाकिस्तान को धूल चटा डाली। इसके साथ ही बांग्लादेश को भी पाकिस्तान से आजाद कराया। आईए जानते है भारत की सबसे बड़ी जीत की कहानी, जिसने आतंक के दोस्त बन चुके पाकिस्तान को दिखा दिया था आईना…
मैदान पर आया इस कप्तान को गुस्सा, फिर अपने ही साथी को तमाचा मारने की कोशिश की, जानें फिर क्या हुआ 16 दिसंबर भारतीय इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा वह दिन है, जो पाकिस्तान पर भारत की ऐतिहासिक विजय की याद दिलाता है। 16 दिसंबर 1971, यही वह तारीख थी, जब भारत ने युद्ध में पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी।
3 दिसंबर को पाकिस्तान ने भारत के 11 एयरफील्ड्स पर हमला किया था। इसके बाद यह युद्ध शुरू हुआ और महज 13 दिन में भारतीय जांबाजों ने पाकिस्तान को खदेड़ दिया।
‘विजय दिवस’ से जुड़े कुछ तथ्य |
03 दिसंबर को पाकिस्तान ने किया हमला |
13 दिन तक चला दोनों देशों के बीच युद्ध |
16 दिसंबर 1971 को भारत ने हासिल की जीत |
09 हजार पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे |
92 हजार पाक सैनिकों ने सरेंडर किया था |
3,843 सैनिक भारत और बांग्लादेश की मुक्तिवाहिनी के शहीद हुए |
ऐसे तैयार हुई थी युद्ध की पृष्ठभूमि
पाकिस्तान में 1970 के दौरान चुनाव हुए थे, जिसमें पूर्वी पाकिस्तान आवामी लीग ने बड़ी संख्या में सीटें जीती और सरकार बनाने का दावा किया। लेकिन पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता जुल्फिकार अली भुट्टो इस बात से सहमत नहीं थे, इसलिए उन्होंने विरोध करना शुरू कर दिया।
पाकिस्तान में 1970 के दौरान चुनाव हुए थे, जिसमें पूर्वी पाकिस्तान आवामी लीग ने बड़ी संख्या में सीटें जीती और सरकार बनाने का दावा किया। लेकिन पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता जुल्फिकार अली भुट्टो इस बात से सहमत नहीं थे, इसलिए उन्होंने विरोध करना शुरू कर दिया।
बिगड़ते हालातों के बीच सेना का प्रयोग करना पड़ा। अवामी लीग के शेख मुजीबुर रहमान को गिरफ्तार कर लिया गया। यहीं से पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान के बीच दिक्कतें शुरू हो गई। तनाव बढ़ता गया और पूर्वी पाकिस्तान के लोगों ने पश्चिमी पाकिस्तान से पलायन करना शुरू कर दिया।
इस दौरान भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान से आ रहे शरणार्थियों को पनाह देना शुरू कर दी। इससे गुस्साए पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया। हालांकि इंदिरा गांधी ने युद्ध को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोशिशें कीं जो नाकाम रहीं। 10 लाख लोग भारत में शरणार्थी बनकर आ गए थे।
रेडियो पर इंदिरा गांधी ने की घोषणा
3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी विमानों ने बमबारी शुरू कर दी। इंदिरा गांधी ने आधी रात को ऑल इंडिया रेडियो के जरिए पूरे देश को संबोधित किया और कहा कि- कुछ ही घंटों पहले पाकिस्तानी हवाई जहाजों ने हमारे अमृतसर, पठानकोट, फरीदकोट श्रीनगर, हलवारा, अम्बाला, आगरा, जोधपुर, जामनगर, सिरसा और सरवाला के हवाई अड्डों पर बमबारी की है’। इसके साथ ही भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया।
3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी विमानों ने बमबारी शुरू कर दी। इंदिरा गांधी ने आधी रात को ऑल इंडिया रेडियो के जरिए पूरे देश को संबोधित किया और कहा कि- कुछ ही घंटों पहले पाकिस्तानी हवाई जहाजों ने हमारे अमृतसर, पठानकोट, फरीदकोट श्रीनगर, हलवारा, अम्बाला, आगरा, जोधपुर, जामनगर, सिरसा और सरवाला के हवाई अड्डों पर बमबारी की है’। इसके साथ ही भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया।
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युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को धूल चटा दिया था। भारत ने करीब 1 लाख युद्ध के कैदी पकड़े थे और बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजाद करा दिया था।
युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को धूल चटा दिया था। भारत ने करीब 1 लाख युद्ध के कैदी पकड़े थे और बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजाद करा दिया था।
इसके बाद एक नया देश, बांग्लादेश बना। 1971 के पहले बांग्लादेश, पाकिस्तान का एक हिस्सा था जिसको ‘पूर्वी पाकिस्तान’ कहते थे। वर्तमान पाकिस्तान को ‘पश्चिमी पाकिस्तान’ कहते थे। ‘मुक्ति वाहिनी’ का गठन
बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई के समय ‘मुक्ति वाहिनी’ का गठन हुआ। इसका मकसद पाकिस्तानी सेना के अत्याचार से अपने लोगों की रक्षा करना था।
बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई के समय ‘मुक्ति वाहिनी’ का गठन हुआ। इसका मकसद पाकिस्तानी सेना के अत्याचार से अपने लोगों की रक्षा करना था।