कोरोना वैक्सीनेशन के नाम पर फर्जीवाड़ा शुरू, हजार रुपये में टीका लगाने का झांसा, कैसे हो रही है ठगी ‘कोवैक्सिन’ (Covaxin) को भारत बायोटेक द्वारा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के सहयोग से विकसित किया जा रहा है। भारत बायोटेक की बीएसएल-3 (बायो सेफ्टी लेवल 3) जैव-रोकथाम सुविधा में स्वदेशी, निष्क्रिय टीका विकसित और निर्मित किया जा रहा है।
पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टीके के विकास और विनिर्माण प्रक्रिया की व्यापक समीक्षा करने के लिए भारत बायोटेक का दौरा किया था। उन्होंने कोवैक्सिन की स्थिति की समीक्षा भी की थी। इस माह की शुरुआत में कई देशों के 70 राजदूतों और उच्चायुक्तों ने हैदराबाद स्थित जीनोम घाटी में भारत बायोटेक फैसिलिटी का दौरा किया था।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि शुक्रवार को चर्चा के दौरान उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने स्वदेशी विश्व स्तरीय उत्पादों के साथ सार्वजनिक-निजी भागीदारी के महत्व पर बल दिया और ICMR और भारत बायोटेक के बीच सहयोग की सराहना की।
कोरोना टीकाकरण का कभी भी हो सकता है ऐलान, जानिए 10 बड़े सवालों के जवाब ICMR ने कहा है कि COVID-19 के खिलाफ स्वदेशी वैक्सीन ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है। एक ट्वीट में इसने कहा, “कोवैक्सिन ट्रायल के फेज I और फेज II के प्रोत्साहित करने वाले परिणामों ने भारत में फेज III क्लीनिकल ट्रायल के लिए मार्ग प्रशस्त किया है, जो वर्तमान में 22 स्थानों पर चल रहा है।”
इससे पहले अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली ने गुरुवार को ‘कोवैक्सिन’ के तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के लिए स्वयंसेवकों को आमंत्रित किया था। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश में छह वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के विभिन्न चरणों में हैं। तीन वैक्सीन प्री-क्लीनिकल ट्रायल फेज में हैं।