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संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञ ने उठाए सवाल, स्टेन स्वामी की मौत भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर धब्बा

भारत के आदिवासी और मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी (Stan Swamy) की मौत पर संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार (Human Rigts) विशेषज्ञ ने भारत की शासन व्यवस्था की आलोचना करते हुए कहा कि उनकी मौत भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर धब्बा है।

Jul 17, 2021 / 06:50 pm

Ronak Bhaira

UN human rights activist asks why Stan Swamy not released

UN human rights activist asks why Stan Swamy not released

नई दिल्ली। बीते 5 जुलाई को मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टेन स्वामी की मौत होने के बाद से ही भारत की शासन व न्यायिक व्यवस्था पर अनगिनत सवाल उठाए जा रहे हैं। स्टेन स्वामी ने खराब स्वास्थ्य के चलते जमानत की अर्जी लगाई थी लेकिन उन्हें जमानत नहीं मिली। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की एक मानवाधिकार विशेषज्ञ ने कहा, ‘स्टेन स्वामी की मौत भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर एक धब्बा है, मानवाधिकार कार्यकर्ता को उसी के अधिकारों से वंचित रखने का कोई कारण नहीं है।’
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क्या कहा मानवाधिकार विशेषज्ञ ने

संयुक्त राष्ट्र की विशेष दूत मेरी लॉलर ने बृहस्पतिवार (17 जुलाई) को कहा, ‘फादर स्टेन स्वामी का मामला सभी देशों को यह याद दिला रहा है कि मानवाधिकारों के रक्षकों और बिना किसी कारण के हिरासत में लिए गए लोगों को रिहा कर देना चाहिए।’
लॉलर ने आगे कहा, ‘फादर स्टेन स्वामी ने अपना पूरा जीवन आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए लड़ते हुए गुजारा है। उनके खराब स्वास्थ्य को लेकर कई बार उन्हें रिहा करने की मांग की गई लेकिन इसे खारिज कर दिया गया।’
लॉलर ने भारतीय न्यायिक व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘फादर स्टेन स्वामी को एक आतंकवादी के तौर पर बदनाम किया गया और एक आरोपी के तौर पर भी उन्हें अपने अधिकारों से वंचित रखा गया। लॉलर ने भारत की शासन व्यवस्था पर सवाल दागते हुए पूछा, ‘मैं फिर पूछती हूं कि उन्हें रिहा क्यों नहीं किया गया और हिरासत में मरने के लिए क्यों छोड़ दिया गया?’
भारत बाहरी आलोचनाओं को खारिज करता रहा है

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई आलोचनाओं को खारिज करते हुए भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘स्टेन स्वामी कैदी थे और उनके साथ किया गया बर्ताव कानून के अधिकारों के अंतर्गत ही आता है।’
विदेश मंत्रालय ने सफ़ाई पेश करते हुए कहा, ‘भारत अपने नागरिकों के मानवाधिकारों का संरक्षण करता है और देश की लोकतांत्रिक नीति और स्वतंत्र न्यायपालिका मानवाधिकार आयोगों के अनुरूप है।’

कौन थे फादर स्टेन स्वामी
फादर स्टेन स्वामी आदिवासी कार्यकर्ता थे, जिन्होंने आदिवासियों व अल्पसंख्यकों के अधिकारों की कई लड़ाई लड़ी हैं। भीमा कोरेगांव मामले के बाद फादर स्टेन स्वामी को माओवादी संगठनों से ताल्लुक रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और उन पर गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (यूएपीए) के तहत कार्रवाई की गई थी।
बता दें कि जब स्टेन स्वामी पर यूएपीए लगाया गया, उस समय उनकी उम्र 83 वर्ष थी। हाल ही में अमरीका के सुप्रसिद्ध अखबार द वाशिंगटन पोस्ट की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई है, जिसमें कहा गया कि स्टेन स्वामी, सुरेंद्र गडलिंग और रोना विल्सन समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं के कम्प्यूटर में माओवादियों से संबंधित डेटा किसी हैकर के द्वारा मैलवेयर के माध्यम से जानबूझकर डाला गया था।

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