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दरअसल कोरोना काल में माता-पिता आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। इसे देखते हुए राज्य सरकार की ओर से फीस कटौती का निर्णय लिया गया है। नए आदेश में अब तक जिन अभिभावकों ने पहले ही फीस जमा कर दी है, उन्हें ये वापस की जाएगी या फिर अगले साल की फीस में जोड़ लिया जाएगा।
आदेश में कहा गया है कि किसी स्कूल को किसी भी तरह से छात्रों को ऑनलाइन कक्षाओं में शामिल होने से नहीं रोकना चाहिए। इसके साथ अगर वे फीस का भुगतान करने में असमर्थ है तो परीक्षा देने दें।
बीते माह कैबिनेट ने लिया था फैसला
इससे पहले 28 जुलाई को महाराष्ट्र कैबिनेट की एक बैठक में राज्य के निजी स्कूलों के लिए 15 प्रतिशत फीस में कटौती की मंजूरी दी गई थी। महाराष्ट्र कैबिनेट ने तब यह निर्णय लिया था कि फीस भुगतान का ढांचा ऐसा हो कि कोई भी छात्र शिक्षा से बिल्कुल वंचित न रहे। इसे लेकर माता-पिता की शिकायतें सामने आ रही थीं। कई निजी संस्थान महामारी के दौर में भी फीस कम करने के बजाय मुनाफा कमा रहे हैं, इस कारण माता-पिता के सामने वित्तीय संकट खड़ा हो गया है।
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राज्य की स्कूल की शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ के अनुसार इस साल की फीस के संबंध में यह निर्णय लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार राज्य सरकार के कैबिनेट द्वारा यह फैसला लिया गया। यह स्पष्ट कहा गया है कि यदि फैसले का निजी स्कूल पालन नहीं करते है तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।