पत्थरबाजी और आए दिन हिंसा जम्मू-कश्मीर की पहचान बन चुकी थी। शुक्रवार को अक्सर यह देखा जाता था, मगर बीते दो साल में इसमें कमी आई है। सरकार ने हाल ही में एक फैसला लिया है कि पत्थरबाजी में शामिल रहे युवकों को सरकारी नौकरी और सरकारी सेवाओं के लाभ नहीं मिलेंगे।
बीते दो साल में सैंकड़ों आतंकियों का खात्मा हुआ और आतंकी संगठनों के ठिकाने नेस्तनाबूत किए गए। आतंकियों के शव अब उनके परिजनों को नहीं सौंपे जाते। मुख्य आतंकी संगठनों के कमांडर मारे गए। अब उनमें नेतृत्व की कमी है। उन्हें न सीमा पार से धन मिल रहा है और न ही हथियार।
सरकार चाहती है कि जम्मू-कश्मीर में हालात जल्द से जल्द सामान्य हों, जिससे वहां कश्मीरी पंडितों की वापसी की राह आसान हो सके। कश्मीरी पंडित करीब तीन दशक से कश्मीर से बाहर हैं।
अनुच्छेद 370 खत्म होने से पहले कश्मीर में आतंकी और चरमपंथी गुट हावी थे। उनके आका पाकिस्तान से यहां दखल देते थे। मगर अब वहां काफी कुछ बदला है। अलगाववादी गुट अब शांत हैं। सैयद अली शाह गिलानी सन्यास ले चुके हैं। उनका संगठन तहरीक-ए-हुर्रियत भी अब निष्क्रिय है। पत्थरबाजी की घटनाएं अब न के बराबर हैं।
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व्यापार और रोजगार के अवसर बढ़ेसरकार राज्य में डोमेसाइल के नियम लागू कर रही है, जिससे वहां व्यापार और रोजगार के अवसर बढ़ें। हालांकि, अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के विरोध में व्यापारियों और उद्योगपतियों ने कुछ समय के लिए बंद का आह्वान किया था, मगर धीरे-धीरे स्थितियों में सुधार होता गया और व्यापारी काम पर वापस लौटे और उद्योग-धंधे शुरू हुए। राज्य से बाहर के लोगों के निवेश करने से वहां व्यापार और उद्योग के अवसर बढ़े हैं। घाटी में 4जी नेटवर्क पर काम हुआ।
सरकार जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य करने और राजनीतिक गतिविधियां बढ़ाने पर काम कर रही है। गत 24 जून को प्रधानमंत्री ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें राज्य के लगभग सक्रिय राजनीतिक दलों के नेता मौजूद थे। उन्होंने अपनी राय रखी, मगर साथ ही फिर से अनुच्छेद 370 और 35ए को लागू करने की मांग दोहराई। विधानसभा चुनाव कराने के लिए भी तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं। इससे पहले परिसीमन काम पूरा करने पर ध्यान दिया जा रहा है।
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परिसीमन के जरिए जम्मू की ताकत बढ़ाने की कोशिशसरकार जम्मू-कश्मीर के परिसीमन के जरिए वहां के विभिन्न जिलों की भौगोलिक परिस्थितियों में बदलाव कर रही है। इसके लिए सभी जिलों के अधिकारियों को पत्र लिखकर मतदाताओं से जुड़ा आंकड़ा भी मांगा गया है। परिसीमन आयोग को जम्मू-कश्मीर की विधानसभा सीटों को नए सिरे से तय करना है।