असम में कोकराझार जिले के एक गांव में दो बहनें पेड़ पर फांसी पर लटकी मिली। मामले की जानकारी राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा को हुई, तो वह चौंक गए। उन्होंने मृतक लड़कियों के परिजनों से मुलाकात की और सच सामने लाने तथा दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया। इन लड़कियों के परिजनों से मिलने के बाद मुख्यमंत्री सरमा ने कहा, हम मूल जातीय समुदाय की दो लड़कियों की मौत को हल्के में नहीं ले रहे। परिवार के लोगों का कहना है कि दोनों लड़कियों की आत्महत्या कर लेने की कोई वजह नहीं थी, इसलिए सरकार पूरे मामले की जांच करा रही है। सरमा ने यह भी कहा कि इन मौतों में कुछ रहस्य तो हैं।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा, मैंने खुद जमीनी स्तर पर मौके का निरीक्षण किया है। इसके बाद बोडोलैंड क्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक यानी आईजी और कोकराझार जिले के एसपी के साथ इस पर बात की। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि उन्हें कुछ लोगों पर शक है और इस आधार पर चार-पांच लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। उनमें दो लोगों ने अपने मोबाइल फोन से सभी मैसेज और फोटो डिलीट कर दिए हैं। वे दोनों इन लड़कियों से रोज एक से डेढ़ घंटे तक बातचीत किया करते थे।
यह भी पढ़ें
- लॉकडाउन में बेरोजगारी का असर! बिहार में शादी से पहले दूल्हे का अपहरण, पुलिस ने ऐसे जुटाया सुराग
मुख्यमंत्री ने कहा, पहली नजर में इस मामले में हत्या या फिर दबाव में आकर खुदकुशी का संकेत मिलता है। अगर यह हत्या है, तो जो दोषी है उनका पता लगाकर उन्हें दंडित किया जाएगा। यदि खुदकुशी है तो इसके पीछे क्या है और किन लोगों का दबाव था, इसका पता लगाया जाएगा। इस बारे में पुलिस को जरूरी निर्देश दे दिए गए हैं। हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि वह लड़कियों की मौत को हल्के में नहीं ले रहे और इसीलिए यहां आया हूं। कोकराझार एवं धुबरी जैसे असम के निचले जिलों में मूल जातीय लोगों को धमकाया जाता है। सरमा ने कहा, मैं अभी कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं कह रहा, मगर एक यहां आकर एक संदेश देना चाहता हूं कि यह सरकार गरीबों एवं दबे-कुचले लोगों का उत्पीडऩ किसी भी तरह से बर्दाश्त नहीं करेगी।
यह भी पढ़ें
- छह महीने की प्रेग्नेंट हैं नुसरत जहां, निखिल ने कहा था- यह बच्चा मेरा नहीं, अब इस भाजपा नेता के साथ जुड़ रहा नाम
वर्ष 2014 में उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले में एक पेड़ पर दो चचेरी बहनों के शव लटके मिले थे। तब ये आरोप भी लगे कि उनके साथ बलात्कार हुआ था। मृतक लड़कियों के परिजनों का आरोप था कि पिछड़ी जाति का होने की वजह से उनकी सुनवाई नहीं हुई, पुलिस ने समय रहते मदद नहीं की और बेटियों की जान चली गई। सरकार का रवैया भी गंभीरता वाला नहीं था, जिससे लोगों में काफी नाराजगी थी। हालांकि, लापरवाही और आपराधिक षडयंत्र के आरोप में दो पुलिसकर्मी और सामूहिक बलात्कार और हत्या के आरोप में उसी गाँव के तीन भाई गिरफ़्तार कर लिए गए। सीबीआई को जाँच सौंपी गई और सुनवाई विशेष पॉक्सो अदालत में हुई।
मगर छह महीने बाद सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की और दावा किया कि बलात्कार नहीं हुआ था। लड़कियों की हत्या नहीं हुई बल्कि, उन्होंने आत्महत्या की है। आज करीब सात साल बाद भी बदायूं की इन बहनों का ये मुक़दमा जारी है।
मगर छह महीने बाद सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की और दावा किया कि बलात्कार नहीं हुआ था। लड़कियों की हत्या नहीं हुई बल्कि, उन्होंने आत्महत्या की है। आज करीब सात साल बाद भी बदायूं की इन बहनों का ये मुक़दमा जारी है।