ट्विटर की ओर से अपनी गलती स्वीकार करने पर हाईकोर्ट ने भी स्पष्ट कर दिया कि केंद्र सरकार अपनी कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है और कंपनी को अब सुरक्षा नहीं दी जा सकती है। इतना ही नहीं, कोर्ट ने ट्विटर की ओर से शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति में की जा रही देरी पर भी नाराजगी जाहिर की।
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दिल्ली हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति रेखा पाली ने सुनवाई करते हुए ट्विटर के प्रतिनिधियों से पूछा कि आखिर आपको इस प्रक्रिया में और कितना समय लगेगा। इसपर ट्विटर की ओर से कोई ठोस और संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया। इसपर न्यायमूर्ति रेखा पाली ने स्पष्ट और तल्ख अंदाज में कहा कि यदि ट्विटर को ऐसा लग रहा है कि वह भारत में जितना समय चाहे उतना ले सकता है तो मैं इसकी अनुमति कभी नहीं दूंगी।
कोर्ट ने ट्विटर को लगाई फटकार
मालूम हो कि भारत सरकार ने आईटी नियमों में परिवर्तन किया है और नया आईटी नियम बीते 25 मई से पूरे देशस में लागू है। इस नए आईटी नियम के अनुसार, भारत में कार्यरत तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जिनकी यूजर्स संख्या 50 लाख से अधिक हो उन्हें एक शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्त करना अनिवार्य है। इसको लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और सरकार के बीच विवाद चल रहा है। अभी हाल ही में ट्विटर की ओर से अंतरिम शिकायत अधिकारी की नियुक्ति की गई थी, लेकिन उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।
इस मामले पर हाईकोर्ट ने ट्विटर से पूछा कि यदि उन्होंने इस्तीफा दिया तो कम से कम किसी दूसरे व्यक्ति को नियुक्त किया जा सकता था। इसपर ट्विटर ने कहा कि हम नए अधिकारी की नियुक्ति करने जा रहे हैं। ट्विटर के इस जवाब पर फटकार लगाते हुए कोर्ट ने पूछा कि आखिर ये प्रक्रिया कब पूरी होगी? कोर्ट ने ट्विटर के वकील से स्पष्ट कहा कि आप अपने क्लाइंट (ट्विटर) से आठ जुलाई तक पूछकर बताएं कि नए आईटी नियमों के अनुपालन में वह स्थानीय शिकायत निवारण अधिकारी की नियुक्ति कब करेगा?
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बता दें सोमवार को केंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया था कि ट्विटर नए आईटी नियमों के अनुपालन में नाकाम रही है। केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कोर्ट को बताया, “सभी SSMI को आईटी नियम 2021 का पालन करने के लिए 3 महीने का समय देने और 26 मई को डेडलाइन समाप्त होने के बावजूद, ट्विटर इंक पूरी तरह से अनुपालन करने में विफल रहा है।” सरकार ने कोर्ट को बताया है कि आईटी नियम, 2021 देश का कानून है और ट्विटर को इसका पालन करना अनिवार्य रूप से आवश्यक है।