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मंदी से बचना है तो ग्रामीण और सेमी अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस करें- बिड़ला कॉरपोरेशन COO

-पत्रिका कीनोट सलोन में बिड़ला कॉरपोरेशन के सीओओ संदीप घोष
-इकॉनोमी बढ़ाने के लिए ग्रामीण इलाकों में प्रोजक्ट शुरू करना होगा
-कोविड के बाद लॉन्ग टर्म के बजाए शॉर्ट टर्म पर ध्यान देने की जरूरत
 

May 01, 2020 / 08:23 am

Prashant Jha

मंदी से बचना है तो ग्रामीण और सेमी अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस करें- बिड़ला कॉरपोरेशन COO

नई दिल्ली। पत्रिका कीनोट सलोन में बिड़ला कॉरपॉरेशन लिमिटेड के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर संदीप रंजन घोष ने कहा कि कोविड महामारी से घबराने की जरूरत नहीं है, अभी देर है अंधेर बिलकुल नहीं। दो महीने के भीतर देश के भीतर हालात सामान्य होने शुरू हो जाएंगे। साल खत्म होते-होते भारतीय बाजार एक बार फिर से खड़ा होने लगेगा। उन्होंने कहा कि आर्थिक स्थिति सही करने के लिए सबसे पहले हमें रुरल्स या सेमी अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके जरिए देश की अर्थव्यवस्था को बहुत जल्द पटरी पर ला सकते हैं।
बिड़ला कॉरपॉरेशन लिमिटेड के सीओओ संदीप रंजन घोष गुरुवार को पत्रिका कीनोट सलोन में पत्रिका समूह के दर्शकों और पाठकों के सवालों का जवाब दे रहे थे। मॉडरेशन शैलेंद्र तिवारी के साथ पत्रिका की प्रवीण मल्होत्रा नेशनल हेड कॉर्पोरेट मार्केटिंग ने किया।
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संदीप घोष ने कहा कि इस महामारी के बाद निश्चित तौर से जीवनशैली में बदलाव दिखेगा। मजदूर अपने-अपने घर लौट रहे हैं, वह शहरों की ओर जल्द नहीं लौट पाएंगे। लिहाजा ग्रामीण क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देना होगा। वहां पर सरकारी और प्राइवेट प्रोजेक्ट के तहत जितना जल्दी हो सके काम शुरू करना चाहिए। हमें अभी लॉन्ग टर्म पर नहीं बल्कि शॉर्ट टर्म पर काम करना जरूरी है। ग्रामीण इलाकों में निवेश और आमदनी शुरू हो जाएगी तो हमारी इकॉनोमी आगे बढ़ने लगेगी।
कोविड के बाद भी चुनौतियां कम नहीं
संदीप घोष ने कहा कि लॉकडाउन खुलने के बाद देश के सामने बड़ी चुनौतियां होंगी। इसमें कैश फ्लो, लेबर शॉर्टेज, रोड मूवमेंट, सोशल डिस्टेंसिंग और सुरक्षा जैसी चुनौतियां रहेंगी, लेकिन टेक्नोलॉजी और प्लानिंग के तहत काम करने से इन चुनौतियों को बहुत जल्द खत्म किया जा सकता है।
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रीयल इस्टेट को अपना तरीका बदलना होगा
रीयल इस्टेट के लिए आने वाले दिन चुनौती भरे हो सकते हैं, उन्हें अफोर्डेबल हाउसिंग की ओर बढ़ना होगा। अभी कैश फ्लो और यूजर की जरूरत के हिसाब से ही सामान उपलब्ध कराने का वक्त है। बेहतर हो कि पुराने पड़े अधूरे प्रोजेक्ट को जल्दी से पूरा करें और उसमें लागत को टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर कम करें। इस कम लागत का फायदा खरीददार को भी दें, तभी उनकी इंडस्ट्री को वापस एक सपोर्ट मिलेगा।

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